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________________ पावट : यात के तल पर सपा का मन २८७ मारनी । पिन्न भगवान माता-पिता कीलनुमति के बिना किसी को दीक्षित नहीं बाने थे। अतिमामाता-पिता की नीति प्राप्त करने उन पान पाया। वर्ग प्रणाम फार बोला'आजम भगवान महावीर के पास जाकर माया। मामार ! तुमने अदा किया।' 'मां ! म भगवान बाल मन्दे लगे।' "बेटा ! मानसी नलिए बनी नगने ही चाहिए।' "ri ! जी न.ताकि भगवान से पार हो । 'बेटा ! भगवान् जनगार हम गृहवामी है, हम भगवान् के माम नहीं _ 'मां ! मैं चाता कि भगवान् पाम दीक्षित कर समगार बन आई, और उगम पाम ।' 'बेटा! मी ग बालक हो । अभी तुम्मान गुद्धि पम्पियनमा तुम को नम ?' गा! जिम जानना नहीं जानता। मिली जानना, ने जाना। वटा! of aarii मे नीम की जानरे ? शिग ही जानने, उ ___! आरजोजागा नही जाना कि द. महानोरथी मगा: मनीीि करने Soni, मत्स्य, नाम और दमामा ! नाग नारमानी किन्तुगलमा पानी भाग | mirrintinो । सोनिमार EC fram: परमा
SR No.010542
Book TitleShraman Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages389
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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