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रह सकता है और लेट सकता है ।'
भगवान् का उत्तर सुन कालोदायी का संदेह दूर हो गया ।" वह भगवान् के पास प्रव्रजित हो गया ।
ये कुछ घटनाएं प्रस्तुत करती हैं मुक्त मानस और मुक्त द्वार के उन्मुक्त
चित्र |
श्रमण महावीर
१. भगवई, १९१३४-१४२ .
गवई ७१९२० : कालोदा पइए ।