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भिक्खु-सुत्तं
(२८८ ) रोइन नायपुत्त-वयणे,
अप्पसमे भन्नेज्ज छ प्पि काए । पंच य फासे महत्वयाई, पंचासवसंवरे जे स भिक्खू ॥१॥
(२८६ ) चत्तारि वमे सया कसाए,
घुवजोगी य हविज्ज बुद्धवयणे। अहणे निज्जायस्व-रयए, गिहिजोगं परिवज्जए ने त भिक्खू ॥२॥
( २९० ) । सम्मविही सया अमूढे,
अस्थि हु नाणे तव-संजमे य। तवसा धुणइ पुराण पावर्ग,
मण-वय-कायसुसंवुड़े जे स भिक्खू ॥३॥