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महावीर-वाणी नो भावए नो वि य भावियप्पा, अकोउहल्ले य सया स पुज्जो ॥७॥
( २७१ ) गुणेहि साहू अगुणेहिसाहू,
गिहाहि साहू गुण मुञ्चऽसाहू । वियाणिया अप्पगमप्पएणं, जो रागदोसेहि समो स पुज्जो ॥६॥
( २७२ ) तहेब बहरं च महल्लगं वा,
इत्थी पुर्म पन्वइयं गिहि वा। नो हीलए नो विय खिसएज्जा, __ थमं च कोहं च चए स पुज्जो ॥६॥
( २७३ ) तेस गुरूणं गुणसायराणं,
सोच्चाणं मेहावी सुभासियाई। चरे भुणी पंचरए तिगुत्तो,
चउकसायावगए स पुज्जो ॥१०॥