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द्वारिका अमुक समय जलेगी वैसे ही यह भी तो बतलाया था जो कि द्वीपायन के द्वारा जलेगी बस तो वह कार्य जैसा श्री नेमिनाथ स्वामी ने कहा था उसी समय हुवा किन्तु हुवा द्वीपायनरूप निमित्त के द्वारा उसके आने से। शा-ठीक निमित्त उपस्थित होता है सही किन्तु कुछ करता
नहीं है कार्य तो अपनी उपादान शक्ति से ही होता है जैसे कि ज्ञान होता है वह जानता है किन्तु करता नही
वैसे ही हरेक कार्य के समय निमित्त होता है। उत्तर- भैया जी क्या कहते हो जरा शोचो तो सही देखो कि श्री महावीर भगवान् ने ज्ञान को हरेक वस्तु का एवं हरेक कार्य के होने का ज्ञायक कहा है जानने वाला वतलाया है वह जानता है सब चीजों को, कर्ता किसी को भी नही है ठीक है किन्तु निमित्त को दो कारण बतलाया है, कार्य के होने में जैसे कि उपादान कारण होता है वैसे ही निमित्त भी कारण होता है और उन दोनों से ही कार्य बनता है। उपादान तो कार्यरूप में आता है और निमित्त उसे कार्यरूपमे लाता है । अर्थात्-निमित्त विशेष के प्रभाव से उसके दवाव मे आकर ही, उपादान जो है वह कार्यरूपता को स्वीकार करता है यही वस्तु का वस्तुत्व है यही जैन शासन कहता भी है । याद रहे कार्य नाम विकार का है न कि सहज सदृश सूक्ष्म परिणमन का । अब ऐसा न मानकर अगर-निमित्त कारण उपादान में कुछ नहीं करता न वह सहायता मदद ही करता है और न किसी प्रकार का प्रभाव ही