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________________ षष्ठ दिशि परिमाण व्रत. व त्यारें पोतार्नु अगति स्वरूप जाणीने सर्वदेवथी उदास रहे, एटले सर्वदेत्रसाथे अप्रतिबंधक नावें वरते; ते निश्चयदि शिव्रत. १ अहींयां दश दिशिपरिमाणना बे नेद ..एक जलवटनो, अने वीजो स्थलवटनो. त्यां प्रथम जलमार्ग एटले वहाणमां वेशी जदूं अने स्थलमार्ग एटले खुशकीने मार्गे जर्बु ते.तेमांजल मार्गे अमुक दिशियें फलाणावंदर सुधी जवू,एम राखे.कारण के जलमार्गनी कोशगणती संख्यामां न आवे, तेथी बंदरनो नियम करी राखे. तेमां पण पवन तथा मेघ गांधी प्रमुखना तोफानमां वहाण क्यहां क्यहां ले जश्नाखे,अने वली अजाण पणे नूल चूकथी अधिकवतासथी गणती,जे बंदरनी हती तेथी दूर वीजा वंदरमां लश् जश्ने नाखे. तो तेनो आगार बे.. २ तथा वीजो स्थलमार्ग.ते स्थलमार्गे आपणे पोतें जे देवें व्रत उचास्यां होय त्यहांथी चारे दिशि, चारे विदिशि सुधी योजन, गाज,कोश प्रमुख.एम जेटलुं जवानुं परिमाण कझुबे,तेटती हद सु धीअमने जवानी जयणा .तेमां पण चोर अथवा को म्लेहादि कना बंधनमां पडवाथी ते धारेला नियमथी अधिकगाज,कोश उ पर ले जाय तो, तेनी पण जयणा. कारण के परवश पडयाथी नियम उपरांत जवानुं थर जाय, तो तेनो दोष नथी. तथा ऊर्ध्व दिशिएं वारकोशजवानी जयणा.अधोदिशिएं आप कोश सुधी जा वानी जयणा. तेमां पण उंचुं चढीने नीचे उतरवार्नुथाय, ते गणती मां नहीं, तथा नियमदेवथी बाहेरनु कोश्क उलखाणवालानुं पत्र श्रावे,ते वांचवानो तथा फरी तेनो उत्तर लखवानो श्रागार. पण पोतानी तरफथी विना कारणे पत्रादिक न ल. परदेशनी विकथा सांजलवानो आगार.को लेदेणादिक महोटा प्रयोजने आजीविकाना जयथी हक्क लेवाने अथे श्रादमी प्रमुख तगादो क रखामाटे मोकलवोपडे,तेनोमनेागार.बली दिशितया विदिशितुं
SR No.010539
Book TitleSamyaktva Mul Bar Vratni Tip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdyotsagar Gani
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1897
Total Pages201
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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