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________________ (9) तथा जेम गुरु मलवा थकी मूल मटेबे, हितबतावे, रहस्या पामे. तेम हीं श्रात्मविज्ञाने करी पण विविध परजाव मण "रूप मूल मटी जायबे, तथा तत्वरमण रूप परम हितने पामेबे, निश्चय समता सहेज उदाशीनतानो जे रहस्य तेने जाणवा ने तो ज्ञान तेज गुरुबे. तथा जेम धर्मनी संगत थकी दुर्गतिमां पडे नहीं, दिवसेंदिव सें अधिक सौनाग्यनी वृद्धि थाय, तेम तत्वरमणरूप धर्म थकी पण परजाव धसंणरूप कुगतिमां पडेनही, दिवसें दिवसें असंख्य 'गुण निर्जरा थाय तेथी अनेक गुण प्रगटरूप सौभाग्य पामे, माटे जे स्वरूपोपयोग तेज धर्म जाणवो इति निश्चयसम्यक्त्व संपूर्णम्.: 'हवे ए सम्यक्त्वनी जे करणी बे ते लिखेबे नित्यप्रत्ये बी जोगवायें ने बती शक्ते वाट घाटविना श्री जिनप्रतिमां जुहारुं, परंतु जो प्रतिमांनुं योग नमले तो पूर्व दशा सन्मुख श्री वहेर मान प्रजुने सन्मुख उपयोग राखीने चैत्यवंदन करूं, रोगादिक कारणे नयाय तेनो आगारबे. श्रीदेराशरनी दश सातना मोहोटी ते नकरुं ते दश आ सातना नाम कहे. देरासरमां तंबोल पान फल प्रमुख नखावा, पाणी नपीवुं, जोजन न करयुं, पगरखा प्रमुख चैत्यनी अंदर न लइ जवा, मैथुन सेवयुं नही, चैत्यमां शयन नकर, थुकवुं न ही, लघुनीत नकरवी, वडीनीत नकरवी, जुगटु रमवुं नही ए दश सातना श्री जिन मंदिरमां नकरुं. ने बीजीपण चोरासी यासातना जे वे तेने टालवानी मनमां चाहना राखुं के जे थकी मोहोटी चैत्यनी सातना मने नलागे. मासप्रत्यें अमुक सेर प्रमुख फूल चडावुं, मासप्रत्यें अमुक प्र मा पूर्वक फलादिक चडावुं, मासप्रत्यें घृतादिक अमुक सेर प्रमुख चडावुं वर्ष प्रत्यें अंगणा पांच अथवा दश चडावु,
SR No.010539
Book TitleSamyaktva Mul Bar Vratni Tip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdyotsagar Gani
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1897
Total Pages201
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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