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________________ (१२) गोलो माने पण एम न विचारे के जे अरूपी चीज ने तेनुं तेज केम नजरमां आवे? एवो विचार न करे. ए दश नेद कह्या. तथा पांच वीजां मूल नेदबे ते लखेडे. . १ जे पोतानी मतिमां आव्यं ते साचं बीजं सर्व जंतं पण प रीदा करवानी श्वा राखे नही शुद्धा शुद्धनी खोल करे नही ते प्रथम अनियहिक नामे मिथ्यात्व जाणवो. २ सर्व धर्म सारा सर्व दर्शन जलांजे सर्व कोने वंदना करि ए पण कोश्नी निंदा करिए नही. एणे अमृत अने विष ए वन्ने समान गण्या ते वीजो अननिग्रहिक नामे मिथ्यात्व जाणवो. ३ जे जाणी बुजीने जुतुं वोले, पहेला पोताना अझानपणा थ की कांच जूलपडे विपरीत प्ररुपणा करे तेवारे को शुद्ध मार्गानु सारी जीव तेने कहे के पा तमे सिद्धांत विरोछ बोलोगे तमेनू लोगे एवं सांचले तेवारे तेने हह आवे तेथी कुमति कदाग्रह कु युक्ति करीने पोतानुं वचन राखवानी अपेक्षा करे पोते जुगे पडे तोपण नमाने ए पुरुष विराधक बहु जव ब्रमण करनारो जाणवो ए बीजो अनिनिवेश नामे मिथ्यात्व जाणवो. ४ जे जिनवाणीमा संशय राखे एने पोताना अज्ञान दोष थ की सिद्धांतना गहनार्थमा खवर पडे नही त्यारे मगमगतो थको रहे जे ए केम हशे ए संशयिक नामे मिथ्यात्व जाणवो. ५ जे अजाण पणाने लीधे कांश समजे नही ते अनाजोगिक मिथ्यात्व अथवा एकेंजियादिक जीवोने अनादि कालनो लागोर ह्योठे ते पण अनानोगिक मिथ्यात्व जाणवो. ए वका मतीने पू वैला दश नेद साये मेलवता पंदर नेद मिथ्यात्वना थया. हवे वीजा बन्नेद लखेटे. एक लौकीक देव, वीजो लौकीक गु रू, त्रीजो लौमीकपर्व, चोथो लोकोत्तरदेव, पांचमो लोकोत्तरगुरु, श्रने को लोकोत्तरपर्व. ए ठ नेद ववरीने कहे.
SR No.010539
Book TitleSamyaktva Mul Bar Vratni Tip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdyotsagar Gani
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1897
Total Pages201
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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