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________________ १२२ नवम सामायिक व्रत. त्यागीने दिवाल अथवा थांजलाने पीठ लगाडीने वेसे, अथवा वीजा कोइ पदार्थनो शरो लइ बेसे, तो आलंबननामें पांचमो दोष लागे, कारण के, पुंज्या विनानी दिवाल उपर घणा जीवोनो विश्रामने, त्यहां पीठ लगाडतां घणा जीवोनी विराधना थाय, तथा निद्रादि प्रमाद वधे, ए माटे आलंबन नामें ए पांचमो दोष. ६ आकुंचन प्रसारणदोष. ते एमके सामायिक लेने कामो कारण विना हाथ पग संकोचे, अथवा लांबा करे, अने सामायिकमां तो पुष्ट कारण विना हालवुं चालवुं कां कर्तुं नथी. जरुरथी लाचार यये थके, चरवला प्रमुखथी पुंजन प्रमार्जन · करी हाथ पग हलावे. मनमां आकुंचन स्थिति न सहवानो खेद धरे. एवी शैली विना नकामा हाथ, पग, हलावे, तो बहो दोष लागे. ७ सातमो आलस्यदोष, ते एमके, सामायिकने विषे गें आलस मोडे, टाचका फोडे, करडका करे, कम्मर वांकी करे. ए प्र माणे प्रमादनी बहुलताथी व्रतमां खेद उत्पन्न याय; त्यारें श रीरमां रतिaाव जागे, ते वखत आलस मोडीने सुहाम णो उठे, ए सातमो दोष. श्रमो मोटनदोष. ते सामायिकमां अंगुलि प्रमुखने वांकी करीने करडका काढे, ए पण प्रमादनी प्रबलताथी थाय. ए आठ मो दोषठे हो, सातमो अने आठमो, ए ऋण दोष, निद्राप्रमा दनी उपाधिथी थाय ने दर्शनावर्णी कर्मना उदययी थायवे. नवमो मलस्यदोष, ते सामायिक लेश्ने अंगमां खस थए ली होय, तेने बलूरे, मूल जांगें तो सामायिक लीधा पढी खसप्रमुख नी उपाधि थइ तो समजवुं के, चेतना ठीक पणे रही नहीं, विक रूप थत्रा लाग्या. ए प्रमाणे शुभ श्रालंवनमां चेतना स्थिर रहे नहीं, त्यारे लाचार थने चरवला प्रमुखणी जयणा पूर्वक पुंजन प्रमार्जन करीने मनमां पोतानुं खण मन न रधुं तेनो पश्चा " J
SR No.010539
Book TitleSamyaktva Mul Bar Vratni Tip
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdyotsagar Gani
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1897
Total Pages201
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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