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________________ वायकिरिया १ । पंचमहत्वया पन्नत्ता, तं जहा-सवाओ पाणाइवायाओ वेरमणं, सबाओ मुसावायाओ वेरमणं, सबाओ अदत्तादाणाओ वेरमणं, सवाओ मेहूणाओ वेरमणं, सवाओ परिग्गहाओ वेरमणं २ । पंच कामगुणा पन्नत्ता, तं जहा-सदा रूवा रसा गंधा फासा ३ । पंच आसवदारा पन्नत्ता, तं जहा-मिच्छत्तं अविरई पमाया कसाया जोगा ४। पंच संवरदारा पन्नत्ता, तं जहासम्मत्तं विरई अप्पमत्तया अकसाया अजोगया ५। पंच निजरवाणा पन्नत्ता, तं जहा-पाणाइवायाओ वेरमणं, मुसावायाओ वेरमणं, अदिन्नादाणाओ वेरमणं, मेहुणाओ वेरमणं, परिग्गहाओ वेरमणं ६ । पंच समिईओ पन्नत्ताओ, तं जहा-ईरियासमिई भासासमिई एसणासमिई आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिई उच्चारपासवणखेलसिंघाणजल्लपारिट्ठावणियासमिई ७।पंच अस्थिकाया पन्नत्ता, तं जहा-धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए जीवत्थिकाए पोग्गलत्थिकाए ८॥ ___ रोहिणी नक्खत्ते पंचतारे पन्नत्ते १ । पुणवसुनक्खत्ते पंचतारे पन्नत्ते २ । हत्थनक्खत्ते पंचतारे पन्नत्ते ३ । विसाहानक्खत्ते पंचतारे पन्नत्ते ४ । धणिद्वानक्खत्ते पंचतारे पन्नत्ते ५॥ -
SR No.010536
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJethalal Haribhai
PublisherJain Dharm Prasarak Sabha
Publication Year1939
Total Pages681
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size44 MB
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