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चोथु अंग॥
पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्रना ये तारा कह्या छ (१). उत्तराफाल्गुनी नक्षत्रना बे तारा कया छे (२). पूर्वाभाद्रपद नक्षत्रना समवायाग वे तारा कह्या छे. (३). उत्तराभाद्रपद नक्षत्रना वे तारा कया छे. (४)
. आरत्नप्रभा पृथ्वीमा रहेला केटलाक नारकीनी वे पल्योपमनी स्थिति कही छे (१). बीजी पृथ्वीमा रहेला केटलाक ॥१३॥
नारकीओनी वे सागरोपमनी स्थिति कही छे (२). केटलाक असुरकुमार देवोनी वे पल्योपमनी स्थिति कही छे (३). केट
लाक असुरकुमारेंद्र(नीकाय)ने वर्जीने वीजा (नव नीकायना) भवनवासी देवोनी उत्कृष्ट स्थिति कांइक ओछा वे पल्योपमनी IN कही छे (४). असंख्याता वर्पना आयुष्यवाळा संज्ञी पंचेंद्रिय तिर्यंच योनिवाळा केटलाक (युगलिक) तिर्यंचोनी बे पल्यो
पमनी स्थिति कही छे (५). असंख्याता वर्षना आयुष्यवाळा संज्ञी पंचेंद्रिय गर्भज केटलाक (युगलिक) मनुष्योनी वे पल्योपमनी स्थिति कही छे (६). सौधर्म कल्पमा केटलाक देवोनी वे पल्योपमनी स्थिति कही छे (७). ईशान कल्पमा रहेला केटलाक देवोनी ने पल्योपमनी स्थिति कही छे (८). सौधर्म कल्पमा रहेला केटलाक देवोनी उत्कृष्ट स्थिति के सागरोपमनी कही छे (९). ईशान कल्पमा रहेला देवोनी उत्कृष्ट स्थिति साधिक वे सागरोपमनी कही छे (१०). सनत्कुमार देवलोकमां रहेला देवोनी जघन्य बे सागरोपमनी स्थिति कही छे (११). माहेंद्र कल्पमा रहेला देवोनी जघन्य साधिक वे सागरोपमनी स्थिति कही छे (१२). जे देवो शुभ, शुभकांत, शुभवर्ण, शुभगंध, शुभलेश्य, शुभस्पर्श अने सौधवितंसक नामना विमानमां देवपणे उत्पन्न थया होय छे ते देवोनी उत्कृष्ट स्थिति वे सागरोपमनी कही छे (१३). .
ते देवो चे अर्धमासे ('बे पखवाडीयाने अंते) आन-प्राण ले छे एटले के उच्चास ले छे अने निःश्वास ले छ (१)..