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दृष्टिवाद परिचय॥
समवायाङ्ग
भत्र॥ चोथु अंग
- ॥२४९॥
गरगंडियाओ गणहरगडियाओ चकहरगंडियाओ दसारगंडियाओ बलदेवगंडियाओ वासुदेवगंडि. याओ हरिवंसगंडियाओ भद्दबाहुगंडियाओ तवोकम्मगंडियाओ चित्तरगंडियाओ उस्लप्पिणीगं- डियाओ ओसप्पिणीगंडियाओ अमरनरतिरियनिरयगइगमणविबिहपरियणाणुओगे, एवमाइयाओ गंडियाओ आघविनंति पधणविनंति परूविजंति, से तं गंडियाणुओगे ॥४॥
- से किं तं चूलियाओ ? जपणं आइल्लाणं चउण्हं पुठवाणं चूलियाओ सेसाइं पुव्वाइं अचू । लियाई, से तं चूलियाओ ॥५॥
दिट्टिवायस्स णं परित्ता वायणा, संखेजा अणुओगदारा संखेज्जाओ पडिवत्तीओ संखेजाओ निज्जुत्तीओ संखेज्जा सिलोगा संखेजाओ संगहणीओ, से णं अंगठ्ठयाए बारसमे अंगे एगे सुय. खंधे चउद्दस पुत्वाइं संखेज्जा वत्थू संखेज्जा चूलवत्थू संखेज्जा पाहुडा संखेज्जा पाहुडपाहुडा संखे. जाओ पाहुडियाओ संखेज्जाओ पाहुडपाहुडियाओ संखेज्जाणि पयसयसहस्साणि पयग्गेणं पन्नत्ता, संखेजा अक्खरा अणंता गमा अणंता पजवा परित्ता तसा अणंता थावरा सासया कडा णिवद्धा
॥२४९॥