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यिकामां पांच सो पांच सो उपाख्यायिका छे. तेमां पंण एक एक उपाख्यायिकामां पांच सो पांच सो आख्यायिकोपाख्यायिका छे. ए प्रमाणे आ सर्वने एकठा करीए त्यारे केटला थाय ? ते कहे छे - " एक सो ने एकवीश करोड तथा पचास लाख थाय. आ प्रमाणे नव अध्ययन संबंधी विस्तार कह्या पछी अधिकृत सूत्रनो ( धर्मकथानो ) विस्तार जाणवो. " ते आ प्रमाणे -- धर्मकथाना दश वर्ग छे, तेमां एक एक धर्मकथाने विषे पांच सो पांच सो आख्यायिका छे, एक एक आख्यायिकामां पांच सो पांच सो उपाख्यायिका छे, अने एक एक उपाख्यायिकामां पांच सो पांच सो आख्यायिकोपाख्यायिका छे." आ सर्वने एकठा करीये त्यारे शुं थाय ? ते कहे छे -- " एक सो पचीश करोड थाय छे. अहीं जे कारण माटे समलक्षणवाळा छे, ते कारणमाटे नव ज्ञाताना संबंधवाळी आख्यायिका विगेरे जे (एक सो ने साडी एकवीश करोड ) कही छे ते आ मोटी राशिमांथी स्फुट रीते शोधवी - चाद करवी. तेथी पुनरुक्ति रहित आ आख्यायिकाओनुं प्रमाण कहेलुं छे.” ते प्रमाणे आ राशि बाद करे सते साडाण करोड ज कथानको थाय छे. तेथी करीने मूळ सूत्रमां कयुं छे के --' एवमेव सपुत्र्वावरेणं ति ' -- ए ज प्रमाणे एटले कला प्रकारवडे गुणाकार अने बादबाकी करे सते ' अध्धुट्ठाओ अक्खाइयाकोडीओ भवतीति मक्खाओ त्ति " -- आख्यायिका एटले कथानको एता एटले आटली (साडा त्रण करोड ) संख्यावाळी थाय छे. एम भगवान महावीरस्वामीए कह्युं छे'। तथा आ अंगमां संख्याता हजार पदो छे. एटले के पांच लाख ने सीतोतेर हजार कुल पदो छे. अथवा सूत्रालापका कुल पदोए करीने संख्याता हजार ज पदो छे एम सर्वत्र जाणी लेबुं || ६ || सूत्र - १४१ ॥
१ नव अध्ययनो अने दश वर्गनी मळीने तो एक सो पचीश करोड आख्यायिका समजवी.
डी.ए