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पण जाणवू.
(१०००) नवे ग्रैवेयक विमानो हजार हजार योजन ऊंचा छे, सर्वे यमक पर्वतो हजार हजार योजन ऊंचा, हजार हजार गाउ ऊंडा अने मूळमां हजार हजार योजन आयामविष्कंभवाला छे, ए ज प्रमाणे चित्रकूट अने विचित्रकूट जाणवा, सर्वे वृत्तवैताढ्य पर्वतो पण एज प्रमाणे
छे, विशेष ए के आ पर्वतो सर्वत्र सरखा पालाना आकारे 10 रहेला छे, वक्षस्कार परना बीजा कूटोने वर्जीने हरिकट अने
हरिस्सह कूट एक एक हजार योजन ऊंचा छे अने मूळमां हजार योजन विष्कंभवाळा छे, एज प्रमाणे नंदनवनना . बीजा कूटोने वर्जीने बळकूट पण हजार योजन ऊंचो छे, श्रीअरिष्टनेमि भगवान एक हजार वर्षनुं सर्व आयुष्य पाळीने सिद्ध थया, श्रीपार्श्वनाथ प्रभुने एक हजार केवळी हता अने तेटला ज मुनि सिद्ध थया हता, पद्मद्रह अने पुंडरीकद्रह
हजार हजार योजन लांबा छे. . . (११००) अनुत्तरोपपातिक देवोना विमानो अग्यार सो योजन ऊंचा छे, श्रीपार्श्वनाथ प्रभुने अग्यार सो वैक्रियलब्धिवाळा साधुओ हता.
(२०००) महापद्म अने महापुंडरीक द्रहो बवे । हजार योजन लांबा छे.
. (३०००) रत्नप्रभा पृथ्वीना बज्रकांडना उपरना छेडाथी लोहिताक्ष कांडना नीचेना छेडा सुधी त्रण हजार योजननु आंतरं छे.
(४०००) तिगिच्छ अने केसरी द्रह चार चार हजार योजन लांवा छे.
(५०००) पृथ्वीतळमां मेरुपर्वतना मध्यभागे रहेला । रुचकप्रदेशना मध्यभागथी चारे दिशामां मेरुपर्वतना छेडा सुधी पांच पांच हजार योजन- आंतरं छे.
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