________________
संशयरूपपणाए करीने कुत्सित (खराव) प्रवृत्तिना कारणरूप होवाथी अशुभ कर्मनों हेतुरूप एज कारणथी मलिन एटले आत्मस्वरूपर्नु आच्छादन करनार होवाथी अनिर्मळ (निर्मळता रहित) जे मतिगुण एटले बुद्धिनो पर्याय, तेना विशोधन माटे एटले निर्मळपणुं करवा माटे 'असीयस्स किरियावाइयसयस्स त्ति'-एक सोने एंशी क्रियावादीओना व्यूहने (तिरस्कारने)
करीने स्वसमय स्थापन कराय छे एवो संबंध करवो. एज प्रमाणे बीजा पदोने विषे पण आ ज क्रियापदनो संबंध करवो. तेमां al कर्ता विना क्रिया संभवती नथी तेथी आत्मानी साथे संबंधवाळी ते क्रियाने जेओ कहेवाना स्वभाववाळा छे तेओ क्रियावादी
कहेवाय छे. आ आत्मादिकनुं अस्तिपणुं माननारा आ उपाये करीने (आरीते) एक सोने एंशी प्रकारना जाणवा-जीव, अजीव, आश्रय, बंध, संवर, निर्जरा, पुण्य, अपुण्य (पाप) अने मोक्ष-आ नव पदार्थोंने अनुक्रमे मांडीने पछी पहेला जीव पदार्थनी नीचे स्व अने पर एवा बे भेदो स्थापवा. ते बन्नेनी नीचे नित्य अने अनित्य एवा वे भेदो स्थापवा. ते बन्नेनी पण नीचे काळ, ईश्वर, आत्मा, नियति अने स्वभाव ए पांच मेदो स्थापवा. पछी आ प्रमाणे विकल्पो करवा-जीव पोते नित्य काळथकी छे, ए पहेलो विकल्प थयो. आ विकल्पनो अर्थ आ प्रमाणे छे-निश्चे आत्मा छे, ते पोताना स्वरूपे छे, नित्य छे अने काळ थकी छे एम काळवादीनो मत छे.आ कहेला ज आलावावडे वीजो विकल्प ईश्वरना कारणवाळो (ईश्वरवादीना मतवाळो) कहेवो, बीजो विकल्प आत्मवादीनो, चोथो नियतिवादीनो अने पांचमो स्वभाववादीनो कहेवो. ए प्रमाणे ' स्वतः'ए पदने साथे राखीने पांच विकल्पो थया, ते जरीते 'परतः' ए पदवडे पण पांच विकल्पो प्राप्त थाय छे. आ दश विकल्पो नित्यत्वने साथे राखीने थया, तेज प्रमाणे अनित्यत्ववडे पण दश कहेवा. ए प्रमाणे एक जीवपदार्थवडे वीश