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हवे वच्चे नव हजारमुं स्थान कहे छे--
मूळ-अजियस्सणं अरहओ साइरेगाइं नव ओहिनाणिसहस्साइं होत्था।१।९०००॥सूत्रम्-१३२॥ मूलार्थ:-- अजितनाथ अरिहंतने साधिक नव हजार अवधिज्ञानी हता (१) ॥९०००॥
टीकार्थ:--अजितनाथ अरिहंतने साधिक नव हजार अवधिज्ञानी हता. अहीं चार सो अधिक (९४००) जाणवा. आ हजारवें स्थानक होवा छतां लाखना स्थानकना अधिकार मां जे कयुं छे ते सहस्र शब्दना (शतसहस्र शब्द मूळ सूत्रमा लख्या छे तेना) सदृशपणाने लीधे अथवा सूत्रनी रचनानुं विचित्रपणुं होवाने लीधे अथवा लेखकना दोषने लीधे जाणवू (१)। ९००० ।। सूत्र-१३२॥ ___ हवे दश लाखमुं स्थान कहे छे-- ___मू०--पुरिससीहे णं वासुदेवे दस वाससयसहस्साइं सवाउयं पालइत्ता पंचमाए पुढवीए
नेरइएसु नेरइयत्ताए उववन्ने । १ । १००००००॥ सूत्रम्-१३३ ॥ ___ मूलार्थः-पुरुषसिंह वासुदेव दश लाख वर्षनुं सर्व आयु पाळीने पांचमी पृथ्वीमां नारकीओने विपे नारकीपणे उत्पन्न थया (१) ॥ १०००००० ॥
टीकार्थ:--पुरुषसिंह नामना पांचमा वासुदेव थया छे (१) ॥ १०००००० ॥ सूत्र-१३३ ॥ ..