________________
क
समवाय -
क/
ऊंचा छे (१)।तथा 'सव्वे विणं वासेत्यादि'-तेमां वर्षधर उपरना कूटो बसो ने एंशी छे. केवी रीते ? ते कहे छ--- समवायाज "क्षुल्लहिमवानना अग्यार कूट, महाहिमवानना आठ कूट, निषधना नव कूट, एज प्रमाणे नीलादिक त्रण पर्वतना अनुक्रमे पत्र। नव, आठ अने अग्यार कूट छे.” (सर्व मळीने ५६ थया) तेने पांच गुणा करवाथी २८० थाय छे (२)। वक्षस्कारना IN कूटो तो चार सो ने एंशी (४८०) छे. केवी रीते? ते कहे छे--" विद्युत्प्रभ अने मालवंतने विपे नव नव कूट छे, बाकीना
वेने विषे सात सात कूट छे, अने सोळ वक्षस्कार पर्वतने विपे चार चार कूटो छे." (कुल ९६ कूट थया.) तेने पांचे ॥२०॥
गुणवाथी ४८० थाय छे. केमके जंबूद्वीप विगेरे ( अढी द्वीपमां) मेरु पर्वतवाळा महाविदेह क्षेत्र यांच छे तेथी तेने पांचगुणा करवानुं कयुं छे. आ सर्वे कूटो पांच सो पांच सो योजन ऊंचा छे. ए ज प्रमाणे मानुपोत्तर पर्वतादिकने विषे पण जाणवू. वळी वैताढ्यना कूटो तो सवा छ योजन ऊंचा छ, अने ऋषभकूट विगेरे वर्षकूटो (भूमिकूटो) तो आठ आठ योजन ऊंचा छे. अहीं हरिकूट अने हरिस्सहकूट एक एक हजार योजन ऊंचा होवाथी तेमने वा छे. ते विपे कयुं छे के" विद्युत्प्रभ (गजदंता) उपर हरिकूट, मालवंत वक्खारा (गजदंता) उपर हरिस्सहकूट अने नंदनवनमा बलकूट ए त्रण कूट एक एक हजार योजन ऊंचा छे." (६)॥५०० सूत्र-१०८ ॥ . हवे छ सोमुं स्थान कहे छे
मू०--सणंकुमारमाहिंदेसु कप्पेसु विमाणा छ जोयणसयाइं उ8 उच्चत्तेणं पन्नत्ता । १ ।
॥२०॥