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कूडवज्जा पंच पंच जोयणसवाई उड्ड उच्चत्तेणं मूले पंच पंच जोयणसयाई आयामविक्खंभेणं पन्नत्ता |७| सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु विमाणा पंच पंच जोयणसयाई उङ्कं उच्चत्तेणं पन्नत्ता । ८॥ ५०० ॥ सूत्रम् - १०८ ॥
मूलार्थः सर्वे वक्षस्कार पर्वतो सीता अने सीतोदा महा नदी पासे तथा गजदंताओ मेरु पर्वतनी पासे पांच सो पांच सो योजन ऊंचा अने पांच सो पांच सो गाउ ऊंडा कह्या छे (१) । सर्वे वर्षधर उपरना कूटो पांच सो पांच सो योजन ऊंचा अने मूळमां पांच सो पांच सो योजन विष्कंभवाळा कह्या छे (२) कोशल देशमां उत्पन्न थयेला श्रीऋषभदेव अरिहंत पांच सो धनुष ऊंचा हता (३) । भरत नामना चातुरंत चक्रवर्ती राजा पांच सो धनुष ऊंचा हता ( ४ ) । सौमनस, गंधमादन, विद्युत्प्रभ अने मालवंत नामना वक्षस्कार ( गजदंता ) पर्वतों मेरु पर्वतनी पासे पांच सो पांच सो योजन ऊंचा अने पांच सो पांच सो गाउऊंडा का छे ( ५ ) । सर्वे वक्षस्कार पर्वत उपरना कूटो हरि अने हरिस्सह ए वे कूटने वर्जीने पांच सो पांच सो योजन ऊंचा अने मूळमां पांच सो पांच सो योजन आयाम अने विष्कंभवाळा (लांचा-पहोळा ) कह्या छै ( ६ ) । एक बलकूटने वर्जीने बाकीना नंदनवनना कूटो पांच सो पांच सो योजन ऊंचा अने मूळमां पांच सो पांच सो योजन आयामविष्कंभवाळा कह्या छे (७) । सौधर्म अने ईशान कल्पने विषे जे विमानो छे ते पांच सो पांच सो योजन ऊंचा कह्या छे (८) ||५००|)
टीकार्थ :- सर्वे वक्षस्कार पर्वतो सीता अने सीतोदा महा नदीनी पासे तथा मेरु पर्वतनी पासे पांच सो पांच सो योजन