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श्री
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विषयानुक्रम॥
. समवायाज
मत्र ॥ . चोधु अंग
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दरेक अंकने चोराशी चोराशी लाखे गुणतां छेवटनो शीर्षः | बीजी पृथ्वीना मध्यभागथी बीजा घनोदधिना नीचेना छेडा प्रहेलिका अंक आवे छे, श्रीऋषभदेव स्वामीने चोराशी हजार सुधी छाशी हजार योजननु आंतरूं छे. (बीजी नरकना साधुओनी संपदा हती, सर्व वैमानिकना विमानो साधिक पृथ्वीपिंडर्नु अर्ध ६६००० अने घनोदधि २०००० मळीने चोराशी लाखनी संख्यावाला छे.
८६००० जाणवा. ) (८५) आचारांग सूत्रना चूलिका सहित पंचाशी (८७ ) मेरु पर्वतना पूर्वना छेडाथी गोस्तूभ नामना उद्देशन काळ कह्या छे, धातकी खंडना ने पुष्कराध द्वीपना आवास पर्वतना पश्चिम छेडा सुधी सत्ताशी हजार योजबे मेरु जमीनमा एक हजार योजन ऊंडा छे ते सुधा कुल ननु आंतरुं छे, मेरु पर्वतना दक्षिण छेडाथी दकभास नामना पंचाशी हजार योजन ऊंचा छे, रुचक द्वीपनो मंडलिक आवास पर्वतना उत्तर छेडा सुधी सत्ताशी हजार योजननु ( गोळाकार रुचक ) पर्वत जमीनमा एक हजार ऊंडो छे ते आंतरुं छे, ए ज प्रमाणे मेरु पर्वतना पश्चिम छेडाथी शंख सुधां पंचाशी हजार योजन ऊंचो छ, नंदनवनना नीचेना नामना आवास पर्वतना पूर्व छेडा सुधी सत्ताशी हजार छेडाथी सौगंधिक कांडना नीचेना छेडा सुधी पंचाशी सो योजन आंतरुं छे, ए ज प्रमाणे मेरु पर्वतना उत्तर छेडाथी योजन- आंतरं छे.
दकसीम नामना आवास पर्वतना दक्षिण छेडा सुधी सत्ताशी (८६) श्रीसुविधिनाथने छाशी गणो अने छाशी हजार योजन- आंतरं छे, महाहिमवानपरना कूटना उपरना गणधरो हता, श्रीसुपार्श्वनाथ प्रभुने छाशी सो वादी हता, | छेडाथी सौगंधिक कांडना नीचेना छेडा सुधी सत्ताशी सो