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एटले भगवतीसूत्रने विषे कुल चोराशी हजार पदो कह्या छे (११)। चोरासी लाख नागकुमारना आवासो कह्या छे (१२)।। चोराशी हजार प्रकीर्णको कह्या छ (१३)। चोराशी लाख जीवोनी योनिरूपी द्वारो कह्या छे (१४)। पूर्वथी आरंभीने शीर्षप्रहेलिका पर्यंत स्वस्थानथी (पूर्वना अंकथी) स्थानांतरनो (पछीना अंक स्थाननो) चोराशी लाखे गुणाकार कह्यो छे (पहेला अंकने चोराशी लाखे गुणतां पछीनो अंक आवे छे) (१५)। श्री ऋषभदेव अरिहंतने चोराशी हजार साधुनी संपदा हती (१६) । सर्वे मळीने वैमानिकना विमानो चोराशी लाख, सत्ताणु हजार ने त्रेवीश छे एम भगवाने कयुं छे (१७)॥
टीकार्थः--हवे चोराशीमा स्थानक विषे काइक लखे छे-चोराशी लाख नरकावासो आ रीते छे--पहेलीमां त्रीश लाख १, बीजीमां पचीश लाख २, त्रीजीमां पंदर लाख ३, चोथीमां दश लाख ४, पांचमीमांत्रण लाख ५, छठीमां पांच ओछा एवा एक लाख ६ अने सातमीमां पांच ज ७, आ सर्व मळीने चोराशी लाख थाय छ (१)। अग्यारमा श्रेयांसनाथ तीर्थकर एकवीश लाख वर्ष कुमारपणामां, तेटला ज (२१०००००) प्रव्रज्यामां अने बेंताळीश लाख राज्यमां, ए | रीते कुल चोराशी लाख वर्षतुं आयुष्य पाळीने सिद्ध थया (४)। तथा त्रिपृष्ठ पहेला वासुदेव श्रेयांसस्वामीने काळे थयेला | ते अप्रतिष्ठान नामना नरकमां एटले सातमी पृथ्वीना नरकावासामांना मध्य (वचला) नरकावासमां उत्पन्न थया (५)। तथा 'सामाणिय त्ति'--एटले समान ऋद्धिवाळा (६) । तथा 'बाहिरयं त्ति'-जंबूद्वीपना मेरु विनाना बीजाचार मेरुपर्वतो चोराशी हजार योजन ऊंचा कया छे (७)।'अंजणगपव्वय त्ति'-जंबद्वीपथी आठमा नंदीश्वर नामना द्वीपने विषे चक्रवाल विष्कभना मध्य भागे पूर्वादिक चारे दिशामां चार अंजनरत्नमय अंजनक पर्वतो छ (ते ८४००० योजन