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समवाय ७८॥
समवाया
पत्र पो अंग
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ने तरफ अंदर आवतो होवाथी आ(१८०)ने वमणां (३६०) करी तेने जंबुद्वीपना प्रमाणमांथी बाद करीए त्यारे उपर कहेलु (९९६४०) आंतरूं थाय छे. तथा ते मंडळमां बन्ने सूर्य चाले छे त्यारे उत्कृष्टथी अढार मुहर्जनो दिवस थाय छे अने जघन्यथी चार मुहर्तनी रात्रि थाय छे. त्यारपछी आभ्यंतर मंडळथी नीकळीने पहेली अहोरात्रिए आभ्यंतरनी पछीना मंडळने पामीने ज्यारे गति करे छे, त्यारे नवाणुं हजार छ सो ने पीस्ताळीश (९९६४५) योजन अने एकसठीया पांत्रीश भाग (३) जेटलं आंतरं करीने गति करे छे. ते वखते मुहूर्त्तना एकसठीया ये भाग न्युन एवा अढार मुहर्तनो दिवस थाय छे, अने मुहूर्त्तना एकसठीया वे भाग अधिक एवा बार मुहूर्तनी रात्रि थाय छे. ए ज प्रमाणे दक्षिणायनना चीजा, त्रीजा विगेरे मंडळोने विपे तथा वीजा, त्रीजा विगेरे अहोरात्रने विषे पांच पांच योजन अने उपर योजनना एकसठीया पात्रीश पांत्रीश भाग जेटली आंतरानी वृद्धि कहेवी, तथा मुहूर्त्तना एकसठीया बबे भाग जेटली दिवसनी हानि अने रात्रिनी वृद्धि कहेवी. ए प्रमाणे करतां ओगणचाळीशमे मंडळे बन्ने सूर्यनुं परस्पर आंतरं नवाणु हजार, आठ सो ने सत्तावन (९९८५७) योजन अने उपर एकसठीया त्रेवीश भाग (२३) जेटलं आवे छे, तथा दिवसर्नु प्रमाण अढार मुहूर्त्तमांथी एकसठीया अठोतेर भाग वाद करतां सोळ मुहूर्त अने एकसठीया चुमाळीश भाग आवे छे, अने बार मुहर्तनी रात्रिमा एकसठीया अठोतेर भाग उमेरवाथी तेर मुहर्त अने उपर एकसठीया सत्तर भाग थाय छे (३)। ए ज प्रमाणे ' दक्षिणायणनिय। त्ति'-जेम उत्तरायणथी पाछो फरेलो सूर्य ओगणचाळीशमा मंडळे एकसठीया अठो१. मंडळना आंतराना बने बाजुना ये बे योजन अने मंडळना बने बाजुना ४८-४८ एकसठीआ भाग एटले पांच योजन ने ३५ थाय.
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