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________________ हजार वर्ष सुधी गृहवासने मध्ये रहीने पछी मुंड थइ गृहथकी अनगारपणे प्रव्रजित थया (३)॥ ____टीकार्थ:--हवे पंचोतेरमा स्थान विषे काइक लखे छे--सुविधि नवमा तीर्थकर, तेनुं बीजं नाम पुष्पदंत छ (१)। तथा शीतळनाथ अरिहंत पंचोतेर हजार पूर्व सुधी गृहवासमा रह्या हता, ते शी रीते ? ते कहे छे--पचीश हजार पूर्व कुमारपणामां अने पचास हजार पूर्व राज्य उपर रह्या हता (२)। तथा शांतिनाथ भगवान पंचोतेर हजार वर्ष गृहवासमा रही प्रत्रजित थया, ते शी रीते ? ते कहे छे--पचीश हजार वर्ष कुमारपणामां, पचीश हजार वर्ष मांडलिक राजापणामां अने पचीश हजार वर्ष चक्रवर्तीपणामां (एम कुल ७५००० वर्ष समजवा) (३)॥ सूत्र-७५॥ ___ हवे छोतेरसुं स्थान कहे छे-- __ मू०-छावत्तरि विज्जुकुमारावाससयसहस्सा पन्नत्ता । १ । एयं-दीवदिसाउदहीणं, विज्जुकुमारिंद थणियमग्गीणं । छण्हं पि जुगलयाणं, छावत्तरि सयसहस्साइं। १ । ॥२॥ सूत्रम्-७६ ॥ मूलार्थः-विद्युत्कुमारना आवासो छोतेर लाख कह्या छ (१)। ए ज प्रमाणे द्वीपकुमार, दिक्कुमार, उदधिकुमार, विद्युत्कुमारेंद्र, स्तनितकुमार अने अग्निकुमार, ए छए युगलना छोंतेर छोतेर लाख भवनो कह्या छे (२)॥ टीकार्थ:--हवे छोतेरमा स्थानक विषे कांइक लखे छे-तेमा विद्युत्कुमारोना भवनो दक्षिण दिशामां चाळीश लाख छे अने उत्तर दिशामां छत्रीश लाख छ ( बन्ने मळीने ७६ लाख छ (१)। एज प्रमाणे एटले आ जे भवनोनुं प्रमाण कडं
SR No.010536
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJethalal Haribhai
PublisherJain Dharm Prasarak Sabha
Publication Year1939
Total Pages681
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size44 MB
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