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________________ एज प्रमाणे सीता नामनी महानदी पण दक्षिण दिशा तरफ वहेती सती सीताप्रपात द्रहमां पडे छे एम कहे ( ३ ) । • एक चौथी नरकपृथ्वी सिवाय बाकीनी छ नरक पृथ्वीने विपे (कुल) चुमोतेर लाख नरकावासा कह्या छे ( ४ ) ॥ टीकार्थ:-- हवे चुमोतेरमा स्थानक विषे कांइक लखे छे - तेमां अग्निभूति ए श्री महावीरस्वामीना वीजा गणधर हता, तेनुं चुमोतेर वर्षनुं आयुष्य कहुं, तेनो विभाग आ प्रमाणे छे छेंताळीश वर्षनो गृहस्थपर्याय, चार वर्ष छद्मस्थपर्याय अने सोळ वर्ष केवळीपर्याय जाणवो (१) । ' निसहाओ णमित्यादि -आनो भावार्थ आ प्रमाणे छे - निषध नामना वर्ष पर्वतो विष्कंभ सोळ हजार आठसो ने बेंताळीश योजन अने वे कळा ( १६८४२ - २ ) नो छे. तेना मध्य भागमां तिमिच्छ नामनो महाद्रह छे, ते वे हजार योजन पहोलो अने चार हजार योजन लांबो छे. तेथी पर्वतना विष्कंभ (पहोळाइ) ने अर्ध करी (८४२१ - २) तेमांथी द्रहना विष्कंभनो अर्ध भाग (१०००) बाद करीए त्यारे सीतोदा महानदीनो पर्वत उपर सात हजार चार सो ने एकवीश योजन तथा एक कळा ( ७४२१ - १ ) जेटलो प्रवाह थाय छे. ' वइरामयाए जिन्भियाए त्ति 'वज्रमय जिह्विकावडे एटले प्रणाळमां रहेला मकरमुखनी जिह्वा के जे चार योजन लांबी अने पचास 'योजन पहोळी छे तेनावडे ' वइरतले कुंडे त्ति, निषध पर्वतनी नीचे रहेला, वज्रना तळीयावाळा, चार सो ने ऐंशी ( ४८० ) योजन लांबा पहोळा अने दश योजन ऊंडा तथा शीतोदा देवीनुं भवन जेना शिखर उपर रहेलुं छे एवा शीतोदा नामना द्वीपवडे जेनो मध्य भाग शोभी रह्यो छे एवा शीतोदा प्रपात नामना कुंडने विष ' महय त्ति 'मोटा प्रमाणे करीने, अहीं कोइ प्रतमां ' दुहओ ' (वे बाजुए) एवो पाठ देखाय छे ते खोटो पाठ छे एम जणाय छे. ' घडमुहपवत्ति
SR No.010536
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJethalal Haribhai
PublisherJain Dharm Prasarak Sabha
Publication Year1939
Total Pages681
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size44 MB
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