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रतुं वितत, त्रण प्रकारनुं शुषिर अने एक प्रकारचें घन, आरीते वाजिबना तेर प्रकार थाय छे ६, इत्यादिक कळानो विभाग लौकिकशास्त्रथी जाणी लेवो. अहीं कळानी संख्या बौंतेर कही छे, परंतु सूत्रमा तेनां नामो घणां जुदां जुदा जोवामां आवे छ, तेथी कोइनो कोइमां अंतर्भाव ( समावेश) थाय छ एम जाणवू. (७) ॥ सूत्र-७२ ॥ . हवे तोतेरमुं स्थान कहे छ
मू०-हरिवासरम्मयवासयाओ णं जीवाओ तेवतरि तेवत्तरि जोयणसहस्साइं नव य एगुत्तरे जोयणसए सत्तरस य एगूणवीसइभागे जोयणस्स अद्धभागं च आयामेणं पन्नत्ता । १ ।
| विजए णं बलदेवे तेवत्तरिं वाससयसहस्साइंसवाउयं पालइत्ता सिद्धे जाव प्पहीणे।२॥ सूत्रम्-७३॥ II मूलार्थः-हरिवर्ष अने रम्यक क्षेकनी (प्रत्येकनी ) जीवा तोतेर तोतेर हजार, नव सो ने एक योजन तथा उपर
| एक योजनना ओगणीशीया सत्तर भाग तथा अर्धे भाग ७३९०११३ जेटली लांबी कही छ (१)। विजय नामना बळदेव तोतेर हजार वर्पनुं सर्व (कुल ) आयुष्य पाळीने सिद्ध थया, यावत् सर्व दुःखथी रहित थया (२)॥
टीकार्थ:--हवे तोतेरमा स्थानक विष काइक लखे छ- हरिवासे.त्ति'--अहीं संवादनी गाथा आ प्रमाणे छ--- "हरिवर्प क्षेत्रनी जीवा तोतेर हजार, नव सो ने एक योजन उपर सत्तर अने अर्ध (साडीसत्तर) कळा ७३९०११६३ जेटली छ (१)। तथा विजय नामना बीजा वळदेवतुं कुल आयुष्य तोतेर लाख वर्षनुं कह्यु छे, पण आवश्यक सूत्रमा तो पंचोतेर
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