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. थाय छे. तेथी चंद्र, चंद्र अने अभिवर्धित आ त्रण संवत्सरना मळीने कुल दिवसो एक हजार ने वाणुं तथा उपर वासठीया छ भाग १०९२६३ थाय छे । तथा एक सूर्य संवत्सरमां त्रण सो ने छासठ दिवसो होय छे. ते त्रण वर्षना थइने कुल एक हजार अठ्ठाणुं ( १०९८ ) दिवसो थाय छे. हवे अहीं चंद्रयुग अने आदित्य युग बन्ने लेवाना छे. तेमां एक आषाढ मासनी पूर्णिमाए पूर्ण थाय छे अने वीजुं श्रावण कृष्ण प्रतिपदाएं शरू थाय छे. ए प्रमाणे आदित्ययुग त्रण संवत्सरनी अपेक्षाए चंद्रयुगना त्रण संवत्सर पांच दिवस अने एक दिवसना वासठीया छप्पन्न ५६६ भागे करीने ओछा थाय छे, तेथी करीने आदित्ययुगना त्रण संवत्सर चंद्र संबंधी श्रावण कृष्ण पक्षना साधिक छ दिवसे पूर्ण थाय छे, अने (चंद्र ) युगना त्रण संवत्सर तो आषाढ पूर्णिमाए पूर्ण थाय छे. तेथी करीने श्रावण कृष्णपक्षना सातमा दिवसथी आरंभीने दक्षिणायनमां चालतो सूर्य चंद्रयुगना चोथा संवत्सरना चोथा मासने छेडे एक सो ने अढार (११८) मा दिवसे आवती कार्तिक पूर्णिमाए पोताना एक सो ने बारमा (११२) मंडळे चाले छे. त्यारपछी बीजा एकोतेर मंडळे हेमंत मास संबंधी मार्गशीर्ष विगेरे चार मासना तेटला ज (११८) दिवसोवडे चाले छे. त्यारपछी बोंतेरमे दिवसे एटले माघ मासना . कृष्णपक्षनी तेरशने दिवसे सूर्य आवृत्ति करे छे एटले के दक्षिणायनथी पाछो फरी उत्तरायणमां चाले छे. अहीं ज्योतिष्करंडकमां पांच युगसंवत्सर संबंधी उत्तरायणनी तिथिओ अनुक्रमे आ प्रमाणे कही छे - "सूर्य कृष्णपक्षनी सातमे ९, शुक्लपक्षनी चोथे २, कृष्णपक्षनी प्रतिपदाए ३, कृष्णपक्षनी तेरशे ४, शुक्लपक्षनी दशमे ५, कृष्णपक्षनी पांचमे आवर्तन करें छे. आ सर्व आवृत्तिओ माघ मासमां आवे छे. । " दक्षिणायनना दिवसो आ प्रमाणे अनुक्रमे कहा छे - " पहेली आवृत्ति