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Fal एहिं अहासुत्तं जाव भवइ । १ । चउसद्धिं असुरकुमारावाससयसहस्सा पन्नत्ता । २ । चमरस्स ॥णं रन्नो चउसद्धिं सामाणियसाहस्सीओ पन्नत्ताओ।३। सवे विणं दधिमुहा पव्वया पल्लासंठाण| संठिया सवत्थ समाविक्खंभुस्सेहेणं चउसद्धिं जोयणसहस्साइं पन्नत्ता । ४ । सोहम्मीसाणेसु | बंभलोए य तिसु कप्पेसु चउसद्धिं विमाणावाससयसहस्सा पन्नत्ता । ५। सवस्स वि य णं रन्नो | चाउरंतचकवहिस्स चउसट्ठिलट्ठीए महग्धे मुत्तामणि(मए)हारे पन्नत्ते । ६ ॥ सूत्रम्-६४ ॥ ___ मूलार्थ:--आठ अष्टमिका नामनी भिक्षुप्रतिमा चोसठ रात्रिदिवसे करीने तथा बसो ने अठ्याशी दत्तिए करीने | सूत्रमा कह्या प्रमाणे यावत् पूर्ण थाय छे (१)। असुरकुमारना चोसठ लाख भवनो कह्या छे (२)। चमरेंद्र नामना असुरकुमारना इंद्रने चोसठ हजार सामानिक देवो कह्या छे (३) । सर्वे दधिमुख पर्वतो पालाना आकारे रहेला छे तेथी ते सर्वत्र विष्कंभवडे सरखा छे अने उत्सेध( ऊंचाइ )वडे चोसठ हजार योजन कहेला छे (४)। सौधर्म, ईशान अने ब्रह्मलोक ए त्रणे देवलोकना मळीने चोसठ लाख विमानावासो (विमानो) कहेला छे (५)। चार दिशाना अंत सुधीना सर्व चक्रवर्ती राजाने मोटा मूल्यवाळो चोसठ सरवाळो मुक्तामणिमय हार कह्यो छे । (६)॥
टीकाथे:-हवे चोसठमुं स्थान कहे छे–'अद्वेत्यादि'-जेमां आठ आठ दिवसो होय ते अष्टाष्टमिका-आठ अष्टमिका कहेवाय छे, केम के जेमा आठ दिवसाष्टक (आठ दिवसो) होय, तेमां आठ आठ दिवसो होय छे, भिक्षुप्रतिमा एटले विशेष