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२४, चारित्र सहितपणुं २५, वेदनानुं सहन करवापर्यु २६ तथा मारणांतिक उपसर्गर्नु सहन करवापणुं २७ (१)। जंबूद्वीप नामना द्वीपने विषे अभिजित् नक्षत्र सिवाय बीजा सत्तावीश नक्षत्रोवडे व्यवहार चाले छे (२)। एक एक नक्षत्रमास रात्रिदिवसनी अपेक्षाए सत्तावीश रात्रिदिवसे करीने संपूर्ण थाय छे (३)। सौधर्म अने ईशान देवलोकने विषे विमाननी पृथ्वी सत्तावीश सो योजन जाडी छे (४)। वेदक समकितना बंधथी विराम पामेला जीवने मोहनीय कर्मनी सत्तावीश उत्तरप्रकृतिओ सत्तामा रहेली होय छे (५)। श्रावण शुदि सातमने दिवसे सूर्य सत्तावीश अंगुल प्रमाण पोरिसीनी छायाने नीपजावीने (करीने) त्यारपछी दिवसना क्षेत्र(आकाश)ने प्रकाशनी हानिवडे हानि पमाडतो अने रात्रिक्षेत्रने प्रकाशनी हानिवडे वृद्धि पमाडतो (दिवसने नानो करतो अने रात्रिने मोटी करतो) सतो चारने चरे छे (६)॥ ___ आ रत्नप्रभा पृथ्वीने विषे केटलाफ नारकीओनी सत्तावीश पल्योपमनी स्थिति कही छे (१)। नीचेनी सातमी
पृथ्वीने विषे केटलाक नारकीओनी सत्तावीश सागरोपमनी स्थिति कही छे (२)। केटलाक असुरकुमार देवोनी सत्तावीश का पल्योपमनी स्थिति कही छे (३)। सौधर्म अने ईशान कल्पने विषे केटलाक देवोनी सत्तावीश पल्योपमनी स्थिति कही |
छे (४)। मज्झिमउवरिम नामना छठा ग्रैवेयक देवोनी जघन्य स्थिति सत्तावीश सागरोपमनी कही छे (५)। जे देवो मज्झिममज्झिम नामना पांचमा अवेयकमां देवपणे उत्पन्न थया होय ते देवोनी उत्कृष्ट स्थिति सत्तावीश सागरोपमनी कही छे (६)॥
ते देवो सत्तावीश अर्ध मासे आन ले छे, प्राण ले छे, एटले उच्छ्वास ले छे, निःश्वास ले छे (१) । ते देवोने सत्ता