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________________ रिणामे ३, हालिद्दवण्णपरिणामे ४, सुकिल्लवण्णपरिणामे ५, सुब्भिगंधपरिणामे ६, दुब्भिगंधपरिणामे ७, तित्तरसपरिणामे ८, कडुयरसपरिणामे ९, कसायरसपरिणामे १०, अंबिलरसपरिणामे ११, महुररसपरिणामे १२, कक्खडफासपरिणामे १३, मउयफासपरिणामे १४, गुरुफासपरिणामे १५, लहुफासपरिणामे १६, सीतफासपरिणामे १७, उसिणफासपरिणामे १८, णिद्धफासपरिणामे | १९, लुक्खफासपरिणामे २०, अगुरुलहुफासपरिणामे २१, गुरुलहुफासपरिणामे २२ । ६ ॥ इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं बावीसं पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता । १ । छट्ठीए पुढवीए (नेरइयाणं) उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। २ । अहेसत्तमाए पुढवीए [अत्थेगइयाणं] नेरइयाणं जहणणेणं बावीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता।३। असुरकुमाराणं देवाणं अत्थगइयाणं बावीसं पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता । ४ । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं बावीसं पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता । ५। अच्चुते कप्पे देवाणं ( उक्कोसेणं) बावीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता । ६ । हेढिमहद्विमगेवेजगाणं देवाणं जहण्णेणं बावीसं सागरो
SR No.010536
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJethalal Haribhai
PublisherJain Dharm Prasarak Sabha
Publication Year1939
Total Pages681
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size44 MB
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