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मनवडे सेवे नहीं १, बीजाने मनवडे सेवावे नहीं २, मनवडे सेवता एवा पण बीजाने अनुमोदे नहीं ३, औदारिक संबंधी कामभोगने पोते वचनवडे सेवे नहीं ४, बीजाने वचनवडे सेवावे नहीं ५, वचनवडे सेवता एवा पण बीजाने अनुमोदे नहीं जा ६, औदारिक संबंधी कामभोगने पोते कायवडे सेवे नहीं ७, बीजाने कायवडे सेवावे नहीं ८, कायवडे सेवता एवा पण वीजाने अनुमोदे नहीं ९, दिव्य ( देव संबंधी) कामभोगने पोते मनवडे सेवे नहीं १०, मनवडे वीजाने सेवावे नहीं ११, सेवता एवा पण वीजाने मनवडे अनुमोदे नहीं १२, दिव्य कामभोगने पोते वचनवडे सेवे नहीं १३, वचनवडे बीजाने सेवावे नहीं १४, सेवता एवा पण बीजाने वचनवडे अनुमोदे नहीं १५, दिव्य कामभोगने कायवडे पोते सेवे नहीं १६, कायवडे बीजाने सेवावे नहीं १७, सेवता एवा पण बीजाने कायवडे अनुमोदे नहीं १८.(१)। अरिहंत अरिष्टनेमि भगवानने अढार हजार साधुओनी उत्कृष्ट संपदा हती (२)। श्रमण भगवान महावीरस्वामीए बाळ, स्थविर विगेरे सर्व साधुओना आचारना अढार स्थानो कह्यां छे. ते आ प्रमाणे-छ व्रत पाळवा ६, छकायनी रक्षा करवी १२, अकल्प्य वस्त्र-पात्रादि १३, गृहस्थर्नु पात्र (वासण) १४, पर्यक-पलंग विगेरे १५, निषद्या-स्त्री साथे बेसवु ते १६, स्नान १७ अने शोभा १८ आ सर्व(छ)नुं वर्जवु. (३)। चूलिका सहित पहेला आचारांग सूत्रना पदना परिमाणवडे अढार हजार पदो कयां छे (४)। ब्राह्मी लिपिना लखवाना प्रकार अढार कह्या छे ते आ प्रमाणे-ब्राह्मी १, यावनी लिपि २, दोषउपरिका ३, खरोष्ट्रिका ४, खरशाविका ५, पहारातिका ६, उच्चत्तरिका ७, अक्षरष्टिका ८, भोगवतिका ९, वैणकिया १०, IN निन्हविका ११, अंकलिपि १२, गणितलिपि १३, गंधर्वलिपि १४, आदर्शलिपि १५, माहेश्वरी लिपि १६, दामिलिपि १७