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नामना पूर्वमा पंदर वस्तु छे, मनुष्यने पंदरे प्रकारना योग | हजार साधुओ हता, आत्मप्रवाद नामना पूर्वमा सोळ वस्तु ।
होय छे. रत्नप्रभा पृथ्वीमा केटलाक नारकीओनी पंदर पल्यो- छे, चमरेंद्र अने बलींद्रना प्रासाद मध्येनी पीठिकानो विष्कंभ 10 पमनी स्थिति छे, पांचमी पृथ्वीने विषे केटलाक नारकोनी सोळ हजार योजननो छे, लवणसमुद्रना मध्य भागे वेळानी
पंदर सागरोपमनी स्थिति छे, केटलाक असुरकुमार देवोनी | वृद्धि सोळ हजार योजननी छे, रत्नप्रभा पृथ्वीमां केटलाक पंदर पल्योपमनी स्थिति छे, सौधर्म अने ईशान कल्पने विपे नारकीओनी सोळ पल्योपमनी स्थिति छे, पांचमी पृथ्वीमां केटलाक देवोनी पंदर पल्योपमनी स्थिति छे, महाशुक्र कल्पमां केटलाक नारकीओनी सोळ सागरोपमनी स्थिति छे, केटकेटलाक देवोनी पंदर सागरोपमनी स्थिति छे, नंद विगेरे विमा- लाक असुरकुमार देवोनी सोळ पल्योपमनी स्थिति छे, सौधर्म नोमां उत्पन्न थयेला देवोनी उत्कृष्ट स्थिति पंदर सागरोप- अने ईशान कल्पमा केटलाक देवोनी सोळ पल्योपमनी मनी छे, ते देवो पंदर पखवाडीए श्वास ले छे अने पंदर स्थिति छे, महाशुक्र कल्पमा केटलाक देवोनी सोळ सागरोहजार वर्षे आहार इच्छे छे. केटलाक भव्य जीवो पंदर भव- पमनी स्थिति छे. आवर्त विगेरे विमानोमां उत्पन्न थयेला वडे मोक्षमा जनारा होय छे.
देवोनी उत्कृष्ट स्थिति सोळ सागरोपमनी छे, ते देवो सोळ (१६) सूत्रकृतांगमां सोळ अध्ययनमा छेल्लु पखवाडीए श्वास ले छे अने सोळ हजार वर्षे आहार इच्छे गाथाषोडषक नामर्नु अध्ययन छे, सोळ प्रकारना कषायो छे. केटलाक भव्य जीवो सोळ भवे मोक्षे जवाना होय छे. । छे, मेरु पर्वतना सोळ नाम छे, श्रीपार्श्वनाथ प्रभुने सोळ (१७) सत्तर प्रकारनो असंयम छे, सत्तर प्रकारनो