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________________ छ (५)। तथा चमर अने बळि ए वे दक्षिण अने उत्तर तरफना असुरकुमारना इंद्रो छे, तेमनी ' उवारियालेणे त्ति' चमरचंचा अने बलीचंचा नामनी राजधानीना मध्य भागे रहेला तेमना (बे इंद्रोना ) वे भवनने विषे ( मध्ये ) वे | अवतारिकालयन एटले मध्यभागे ऊंचा अने पछी चोतरफ पार्श्वभागे अनुक्रमे उतरता उतरता वे पीठ रहेला छे, ते गोळ | होवाथी आयाम अने विष्कंभवडे सोळ हजार योजन कहेला छे (६)। तथा लवणसमुद्रने विष मध्यना दश हजार योजनमां नगरना किल्लानी जेम जळ ऊंचु रहेलुं छे, तेना उत्सेध( ऊंचाइ )नु प्रमाण सोळ हजार योजननुं छे. तेथी एम कहेवाय छे के लवणसमुद्र उत्सेधनी वृद्धिवडे सोळ हजार योजन छ (७)॥ आवर्त विगेरे अग्यार विमाननां नामो आपेलां छे (६)॥ हवे सत्तर स्थानक कहे छ: मू-सत्तरसविहे असंजमे पन्नत्ते, तं जहा-पुढविकायअसंजमे आउकायअसंजमे तेउकायअसंजमे वाउकायअसंजमे वणस्सइकायअसंजमे बेइंदिअअसंजमे तेइंदियअसंजमे चउरिदियअसंजमे पंचिंदियअसंजमे अजीवकायअसंजमे पेहाअसंजमे उबेहाअसंजमे अवहट्टुअसंजमे अप्पमजणा. असंजमे मणअसंजमे वइअसंजमे कायअसंजमे १। सत्तरसविहे संजमे पन्नत्ते, तं जहा-पुढवीकायसंजमे आउकायसंजमे तेउकायसंजमे वाउकायसंजमे वणस्सइकायसंजमे बेइंदिअसंजमे तेइं
SR No.010536
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJethalal Haribhai
PublisherJain Dharm Prasarak Sabha
Publication Year1939
Total Pages681
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size44 MB
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