________________
विष्कंभ बार लाख योजननो छे, राम नामना वळदेवतुं | सागरोपमनी कही छे, ते देवो बार पखवाडीए श्वास. ले छे IN बार सो वर्षतुं आयुष्य तुं, मेरुपर्वतनी चूलिकानो मूळनो | अने बार हजार वर्षे आहार इच्छे छे. केटलाक भव्य जीवो |
विष्कंभ बार योजननो छे, आ जंबूद्वीपनी जगती मूळमां बार भवे मोक्ष पामनारा होय छे. बार योजनना विष्कंभवाळी छे, दर वर्षे नानामां नानी रात्रि (१३) तेर क्रियाना स्थानो छे, सौधर्म अने ईशान अने नानामां नानो दिवस बार बार मुहूर्त्तवाला थाय छे, कल्पमा तेर तेर प्रस्तट छे, सौधर्मावतंसक अने ईशानावतंसक सर्वार्थसिद्ध विमानथी बार योजन ऊंचे ईषत्प्रागभार नामनी विमाननो विष्कंभ साडाबार लाख योजननो छे, (वे मळीने २५ पृथ्वी छे, ते पृथ्वीना बार नामो छे. आ रत्नप्रभा पृथ्वीमा | लाख थाय छे) जळचर पंचेंद्रिय तिथंच जीवोनी कुळकोटि साडाकेटलाक नारकीओनी बार पल्योपमनी स्थिति कही छे,
बार लाख कही छे, प्राणायु नामना पूर्वमां तेर वस्तु छे, गर्भज पंचेंपांचमी पृथ्वीमा केटलाक नारकीओनी वार सागरोपमनी द्रिय तिर्यंचना मन, वचन, कायाना योग तेर प्रकारना कह्या छे, स्थिति कही छे, केटलाक असुरकुमार देवोनी बार पल्योप- सूर्यन मंडळ एक योजनमाथी योजनना एकसठीया तेर भाग मनी स्थिति कही छे, सौधर्म अने ईशान कल्पने विषे केट
ओछु करीए तेटलुं छे ( एकसठीया ४८ भागर्नु छ ), रत्नलाक देवोनी बार पल्योपमनी स्थिति कही छे, लांतककल्पमां । प्रभा पृथ्वीमां केटलाक नारकीओनी तेर पल्योपमनी स्थिति केटलाक देवोनी बार सागरोपमनी स्थिति कही छे, महेंद्र । छे, पांचमी पृथ्वीमा केटलाक नारकीओनी तेर सागरोपमनी विगेरे विमानोमां उत्पन्न थयेला देवोनी उत्कृष्ट स्थिति वार | स्थिति छे, केटलाक असुरकुमार देवोनी तेर पल्योपमनी
DOOOOOOOOO
6