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समवायाङ्ग
सूत्र॥ ॥४८॥
एम के प्रवेश थाय छे. तथा एगनिक्खमणं 'जे वंदनमा एक निष्क्रमण (बहार नीकळवू) होय ते. एटले के-आवश्यिकी भणीने अवग्रहथकी ( एक ज वार ) बहार नीकळे छे, केम के बीजी वार अवग्रहथकी बहार नीकळवार्नु ज नथी. पण पगमां पडीने ज सूत्र समाप्त करवानुं छे (आ सूत्र भणी जवानुं छे) (३)। तथा 'विजया राजधानी' विजया नामनी राजधानी एटले के-आ जंबूद्वीपने विषे विजय नामना पूर्वद्वारनो अधिपति विजय नामनो देव एक पल्योपमनी स्थितिवाळो छे, तेनी विजया नामनी राजधानी असंख्याता द्वीप समुद्रो पछी आवता जंबूद्वीपमा छे (४)। तथा राम एटले नवमा बळदेव ( बार हजार वर्षनुं कुल आयुष्य पाळीने) पांचमा देवलोकमां देवपणुं पाम्या (५)। तथा सर्व जघन्य रात्रि एटले उत्तरायणना छेल्ला अहोरात्रनी रात्रि बार मुहर्तनी एटले चोवीश घडीनी छ (८)। एज प्रमाणे दिवस पण सर्व जघन्य बार मुहूर्त्तनो होय छे, ते दक्षिणायननो छेल्लो दिवस होय छे (९)॥
माहेंद्र, माहेंद्रध्वज, कंचु, कंबुग्रीव, विगेरे तेर नाम विमानना छे (६) सूत्र-१२ ॥ हवे तेर स्थानक कहे छे.
मू-तेरस किरियाठाणा पन्नत्ता, तं जहा-अट्टादंडे अणट्ठादंडे हिंसादंडे अकम्हादंडे दिद्विविपरिआसिआदंडे मुसावायवत्तिए अदिन्नादाणवत्तिए अज्झथिए मानवत्तिए मित्तदोसवत्तिए मायावत्तिए लोभवत्तिए इरिआवहिए नाम तेरसमे १ । सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु तेरस विमाणप
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