________________
टीकार्थः-हवे चार स्थानक कहे छे, ते सूत्र सुगम छे. विशेष ए के-स्थितिना सूत्रोनी पहेला अग्यार सूत्रो कह्यां छे. JANM तेमां विशेष प्रकारना (सारा) संहननवाळा अने श्रुत(आगम )वाळा भिक्षु( साधु )ओनी जे प्रतिमा एटले विशेष
प्रकारना अभिग्रहो ते भिक्षुप्रतिमा कहेवाय छे । तेमां एक मासनी (वे मासनी) त्यांथी आरंभीने सात मासनी प्रतिमा सुधी सात प्रतिमाओ उत्तरोत्तर एक एक मासनी वृद्धिवाळी अने एक एक भात-पाणीनी दत्तिवडे वृद्धिवाळी जाणवी (एटले के एक मासनी पहेली प्रतिमा, तेमां एक मास सुधी हमेशां भात-पाणीनी एक एक दत्ति लेवानी होय छे. ए जरीते बीजी वे मासनी, तेमां हमेशां भात-पाणीनी बेबे दत्ति, ए जरीते वृद्धि करतां सातमी सात मासनी, तेमां हमेशा भातपाणीनी सात सात दात्त लवानी होय छ. एम सात प्रतिमाओ थइ ). तथा जे प्रतिमाने विष सात रात्रिदिवस होय छे ते एटले सात सात रात्रिदिवसनी त्रण प्रतिमाओ होय छे, अर्थात् सात प्रतिमानी पछी आठमी प्रतिमा सात रात्रिदिवसनी, ए ज प्रमाणे (सात रात्रिदिवसनी) नवमी बीजी अने दशमी त्रीजी प्रतिमा जाणवी. आ त्रण प्रतिमाओमा क्रियाए करीने विशेष छ ( वधारे तफावत छे ). ते आ प्रमाणे-आठमी प्रतिमाने विषे चतुर्थभक्त तप, ग्रामादिकनी बहार रहेQ अने उत्तान (चिता सूg ) विगेरे आसने रहेवार्नु छ, नवमी प्रतिमाने विष उत्कटुक विगेरे आसनवडे विशेषे रहेवानुं छे, | अने दशमीने विपे वीरासनादिकवडे विशेष रहेवानुं छे तथा एक अहोरात्रना (रात्रिदिवसना) प्रमाणवाळी अग्यारमी प्रतिमा छे, तेमां छठभक्त तप करवानो छे एटलं विशेष छे अने एक रात्रिना प्रमाणवाळी बारमी प्रतिमा छे, ते अठमभक्त तपनी छे. तेमां छेल्ली रात्रिए हाथ लांचा राखी वे पग मेळा राखी, काइक कायाने नम्र राखी (नमावी) नेत्रना
RREEITAware