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________________ मूलार्थः-चार भिक्षुप्रतिमाओ कही छे, ते आ प्रमाणे-एक मासनी भिक्षुप्रतिमा १, वे मासनी भिक्षुप्रतिमा २, ॥ त्रण मासनी भिक्षुप्रतिमा ३, चार मासनी भिक्षुप्रतिमा ४, पांच मासनी भिक्षुप्रतिमा ५, छ मासनी भिक्षुप्रतिमा ६, सात मासनी भिक्षुप्रतिमा ७, (त्यार पछी) पहेली सात रात्रिदिवसनी भिक्षुप्रतिमा ८, बीजी सात रात्रिदिवसनी भिक्षुप्रतिमा ९, त्रीजी सात रात्रिदिवसनी भिक्षुप्रतिमा १०, एक रात्रिदिवसनी प्रतिमा ११, एक रात्रिनी भिक्षुप्रतिमा १२ । १ । बार प्रकारनो संभोग कह्यो छे, ते आ प्रमाणे-उपधि, श्रुत, भक्तपान, अंजलिप्रग्रह, दान, निकाच (निमंत्रण), वळी वीजुं ' अभ्युत्थान, कृतिकर्मनुं करवू, वैयावच्चनुं करवू, समवसरण ( साधुओर्नु एकत्र संमीलन थर्बु ), संनिषद्या (आसन) अने कथाप्रबंध । २ । बार आवर्तवालं कृतिकर्म (वंदन) कर्तुं छे, तेमां २५ आवश्यक छे ते आ प्रमाणे-द्विअवनत (जेमां वे वार अर्ध नमबु पडे ते), यथाजात (प्रव्रज्या तथा प्रसूतिना जन्मनो देखाव जेमां होय ते), वार आवर्तवालं कृतिकर्म (अहो, कार्य विगेरे), चउसिर (जे वंदनमा चार वार मस्तक नमाववानुं होय ते), त्रिगुप्त (त्रण गुप्तिवडे गुप्त), दुपवेस । (जेमां वे वार प्रवेश होय ते), एग निख्खमण (जेमां एक बार बहार नीकळवार्नु होय ते) ३ विजया नामनी राजधानी आयामविष्कंभवडे (लंबाइ-पहोळाइवडे ) बार हजार योजन कहेली छे (बीजा जंबूद्वीपमां जगतीथी बार हजार योजन जइए त्यारे आवे छे.) ४ । राम नामना नवमा बळदेव बार सो वर्ष प्रमाण पोतानुं सर्व (आ) आयुष्य पाळीने देवपणुं पाम्या छे ५। मेरुपर्वतनी चूलिका विष्कम( पहोळाइ )वडे मुळमां वार योजन प्रमाण कही छे ६। जंबूद्वीप नामना द्वीपनी वेदिका (जगती) मूळमां विष्कंभवडे बार योजननी कही छे ७ । (आखा वर्षमां) सर्व जघन्य ( नानामां नानी)
SR No.010536
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJethalal Haribhai
PublisherJain Dharm Prasarak Sabha
Publication Year1939
Total Pages681
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size44 MB
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