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विपयानुक्रम ॥
समवायाङ्ग
सत्र॥
चोथु अंग
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आहार इच्छे छे. केटलाक भव्य जीवो छ भववडे सिद्ध | जीवो सात भववडे सिद्ध थवाना होय छे. थवाना होय छे.
(८) आठ मदस्थानो अने आठ प्रवचन माताओ (७) सात भयस्थान, सात समुद्घात, महावीर- | छे. वाणव्यंतर देवोना चैत्यवृक्षो, सुदर्शन नामनो जंबूस्वामी सात हाथ ऊंचा, आ जंबूद्वीपमा सात वर्षधर पर्वत वृक्ष, गरुड देवनो कूटशाल्मली वृक्ष अने जंबूद्वीपनी जगती अने सात क्षेत्र, क्षीणमोही भगवान मोहनीय सिवायनी सात आ सर्वे आठ योजन ऊंचा छे. केवळीसमुद्घात आठ समकर्मप्रकृतिओने वेदे छे, मघा नक्षत्रना सात ताराओ छे, यनो छे, पार्श्वनाथ प्रभुने आठ गण तथा आठ गणधरो हता, कृत्तिका ( पाठांतरे अभिजित् ) विगेरे सात नक्षत्रो पूर्व आठ नक्षत्रो चंद्रनी साथे प्रमर्द योगने पामे छे, केटलाक दिशाना द्वारवाला छे, मघा विगेरे सात नक्षत्रो दक्षिण द्वार- देवो ने नारकी जीवो आठ पल्योपम ने आठ सागरोपमना वाळा, अनुराधा विगेरे सात नक्षत्रो पश्चिम द्वारवाळा 'अने आयुवाळा होय छे ते कहेल छे. जे देवोनी उत्कृष्ट स्थिति धनिष्ठा विगेरे सात नक्षत्रो उत्तर द्वारवाळा. कह्या छे. केट- आठ सागरोपमनी छे ते दवो आठ पखवाडीए श्वास ले छे 'लाक देवो ने नारकीओ सात पल्योपम ने सात सागरोप- अने आठ हजार वर्षे आहार इच्छे छे. केटलाक भव्य जीवो मनी स्थितिवाळा होय छे ते कहेल छे. जे देवोनी उत्कृष्ट आठ भवे मोक्ष पामवाना होय छे. स्थिति सात सागरोपमनी छे ते देवो सात पखवाडीए श्वास (९) नव ब्रह्मचर्य गुप्ति, नव ब्रह्मचर्य अगुप्ति अने | ले छे अने सात हजार वर्षे आहार इच्छे छे, केटलाक भव्य | नव ब्रह्मचर्य अध्ययनो कया छे. पार्श्वनाथ प्रभु नव हाथ