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माटे छे. लोकांतथकी अग्यार सो ने अग्यार योजननी अबाधाए करीने एटले बच्चे व्यवधान ( आंतरूं) करीने लोकांतनी अंदर ११११ योजने ज्योतिषचक्रनो पर्यंत-छेडो कह्यो छे. आ वाचनांतरनी व्याख्या छे, ते विपे का छे के"अग्यारसो ने एकवीश तथा अग्यार सो ने अग्यार योजन प्रमाण मेरु अने अलोकनी अबाधाए ज्योतिषचक्र चार चरे
अने रहेढं छे." । परंतु आ चालती वाचनाने विषे तो आ हमणां व्याख्यान करेला वे आलावा उलटा पण देखाय छे' (२)। KML एकारसयमुत्तरं विमाणसयं भवति त्ति अक्खायं ति' अहीं 'म' अक्षर आगम संबंधी होवाथी आवो अर्थ करवोल अग्यार सहित सो विमान (अर्थात् १११) विमान होय छे एम करीने (जाणीने) 'आख्यातं' एटले भगवाने तथा बीजा NI.केवळीओए का छे एवं सुधर्मास्वामीनु वचन छ (६)। मेरुपर्वत पृथ्वीतळथकी शिखरतळने विपे ऊंचाइना प्रमाणथी
अग्यारमे भागे ओछो कह्यो छे. आनो भावार्थ आ प्रमाणे छ-मेरुपर्वत भूमितळथी आरंभीने शिखरतळना उपला भाग सुधी विष्कभनी अपेक्षाए अंगुल विगेरेना अग्यारमा अग्यारमा भागे करीने हानि पामतो सतो उपर उपर कहेलो छे. आनी भावना आ प्रमाणे छे-मेरुपर्वतनो विष्कम भूमितळमां दश हजार योजन छे, त्यांथी एक अंगुल ऊंचा जइए त्यारे तेनो
विष्कंभ अंगुलनो अग्यारमो भाग ओछो थाय छे. ए प्रमाणे गणतां अग्यार अंगुल ऊंचे जइए त्यारे एक आंगळ घटे छे. al एज न्यायवडे अग्यार योजन जइए त्यारे एक योजन घटे छे, एज रीते अग्यार हजार योजने एक हजार योजन घटे छे,
तेथी नवाणु हजार योजने नव हजार योजन घटे छे. तेथी शिखर उपर एक हजारनो विष्कंभ रहे. छे. अथवा तो पृथ्वीतळना . १ अहीं टीकामां जीजा सूत्रनी व्याख्या प्रथम करी छे अने बीजा सूत्रनी व्याख्या पछी करी छे.