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भ० महाबीर स्मृति ग्रंथ ।
२१. रीवा के बघेल नरेश वीरभद्रने स्वरचित 'कंदर्पचूडामणिमै ' यक्षरात्रिको सुखरात्रि
बताया है।
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२२. ' आईन-इ-अकबरी' में अनुलफनल ( १५९० ई.) ने दिवाली के वर्णनमें लिखा है कि दिवाली वैश्योंका सबसे बडा त्यौहार है । इसदिन दीपक जला कर खूब रोशनीकी जाती है। तिथि कार्तिक शु. १२ व कृष्णा १५ बताने में कुछ मतभेद हैं। जुमा खेला जाता है ।
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२३. 'मट्टोज दीक्षित 'कालनिर्णय सक्षेप ( १५६० - १६२० ) में, कमलाकरभट्ट f निर्णयसिंधु ' (१६१२ ) में और दिवाकर काल 'कालनिर्णय चद्रिका में दीपावली विषयक अनेक उलेख करते हैं ।
२४. दिवालीका उल्लेख अप्रैन लेखकोंने ( १६१३-१८८३ ) भी किया है, जिसमें निम्न विशेषतायें गिनाई हैं: (१) आमोद प्रमोद सहित ज्योनार, (२) विष्णुके सम्मानका त्यौहार, (३) भेंट सम्बन्धी जर्नी को देना, (४) बनियोंकी दिवाली, (५) ऋतु विषयक महान त्यौहार, (६) आतिशवानी (१८२० ), (७) लक्ष्मीकी पूजा, (८) नदियोंमें दीपक प्रवाह ( ९ ) बनारस की जोरदार दिवाली, ( १८८८ ). ( Habson - Jobson, London, 1903, pp 208309).
२५. बाबा पाध्ये ने 'धर्मसिन्धु' में लक्ष्मीपूजाके पश्चात् कार्तिक शुक्ल प्रतिपत्को कुबेर पूजा करना लिखा है । ( १७६०-१८०६ ई. ) .
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सन् १८० ० के लगभग कुबेरपूजाकाभी उल्लेख दिवालीपर मिलता है । हमारे विचारसे यह कुबेर पूजा ' बाराहपुराण' गत यक्षाचकाही दूसरा रूप है, जो वैष्णवकी लक्ष्मीपूजाके कारण गौण होगई है । २
दक्षिण भारतमै दीपावली के प्रातः पत्नी पतिको वैल स्नान कराती है - नघूढा पत्नीके लिये यह अत्यन्तावश्यक है | बिवाहके पश्चात् पहली दिवालीपर दामाद अपने परिजन सहित पत्नीगृह इस 'उद्देश्यसे आता है । उस समय कन्याका पिता उन्हें भोजन कराता और वस्त्रभूषण भेंट करता है। बहूकार उसे साडी और आभूषण देता है। दीपावलीको प्रात. स्नान करके हरकोई अपने मित्रोंके घर जाकर पूंछते हैं कि उन्होंने गङ्गा स्नान किया या नहीं ! आगुन्तकका सत्कार ताम्बूल, मेरामिटान किया जाता है !
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इलोराकी गुफाओं (न. १४-१५-१६ एव २१ ) में राष्ट्रकूट नरेश कृष्ण प्रथम
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१. नं, १७ से १५ तहके उल्लेडोंके लिये " Annals " का उल्लेखित स्थान एव 'भारतीय विद्या (मार्च १९४७) १०६६ देखना चाहिये ।
२. भारतीय विद्या, मार्च १९४७, पृ. ६२-६४में विशेष देखो.
३. वही, पृ. ९ देनो,
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