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भ० महावीर स्मृति-पंथ |
करना, ( २ ) स्त्री सगतिर्मे आमोद प्रमोद मनाना, ( ३ ) गीतवाद्य, (४) श्रुत, (५) घरोंकी छठपर दीप-पतिया प्रज्वलित करना, ( सुनाकसूचितावसरा दीपोत्सव लिष्ट)
८. श्रीपति ज्योतिषाचार्यने अपनी 'ज्योतिष रत्नमाला' की मराठी टीका दिवालीका उल्लेख किया है।
९. अल्बेरुनीने अपनी 'तहकीक-इ-हिन्द' नामक पुस्तक ( सन् १०३० ई० ) में दिवालीका विवरण लिखा है; जिसकी मुख्य बातें यह हैं : (१) नाम 'दीवाली', (२) चमकोली भडकीली पोशाक, ( ३ ) पान-सुपारी भेंट करना, (४) आमोद प्रमोद मनाना, (५) मंदि में जाना और दान देना, (६) रातमें सर्वत्र दीपक जलाना, ( ७ ) आजके दिन विष्णु-पत्नी लक्ष्मीको बालीके बन्दीगृहसे मुक्ति मिली थी, (८) सोभाग्य सूचक त्यौहार ।
१०. श्री हेमचन्द्राचार्यने 'देशी नाममाला' अंथमे ( १०८८-११७२) 'जक्खरती ' ( यक्षरात्रि ) को दिवाली या दीपालिका बताया है.
११. पुरुषोत्तमदेवने मी ' त्रिकाण्डशेप 'मैं 'यक्षरात्रि 'को दीपाली ( १-१-१०८ ) कहा ईं। यह उल्लेख सन् ११५८ ई. से पहले का है ।
१२. मुस्लिम लेखक मुलतान - वासी अब्दुल रहमान अपने अपके ग्रंथ : देश
रासक' (सन् ११००-१२०० ई. में दीपावलीका उल्लेख निम्नप्रसार किया है.
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' दितिय णिसि दीवालिय दीवय
वस सिरेइसरल कर लीयय । aise you neण जोइक्खिहिं
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महिलय दिति सलाइय अक्खिहि ॥ १७६ ॥
भावार्थ -- महिलानन नव-शशि रेखाके सदा दीप-पक्तियोंसे अपने घर रातको प्रदीप्त करती हैं और इन दीपका काजल पारकर वे आखैमें लगाती हैं।
(१३) महाराष्ट्रीय सन्त ज्ञानेश्वर (१२९० ई.) ने 'दिवाली' का उल्लेख अपनी ude किया है। दिवाली के प्रकाशकी उपमा उन्होंने अध्यात्म-ज्ञान-प्रकाश की है।
(१४) चक्रधर ( १२५०) ने 'लीळाचरित्र' मराठी महानुभावमे दिवाळी वर्णने सम्बन्धी यह विशेषतायें लिखीं हैं: ( १ ) उनके शिष्य गोधावियों द्वारा बहु-जल एकत्र करके स्नान करना, (१) स्नानके पहले बैल मर्दन करना, (३) चक्रवरकी नारी -शिष्याओं द्वारा गोसावियोंकी आरती ( बोवाळणी) उतारना, (४) यमद्वितीयाको मोदक लाइ सेवादिकी ज्योनार करना । यह a sोगोंकी दिवाली थी।
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१५. हेमाद्रि ( १२६० ई.) अपनी 'चतुर्वर्णचिन्तामणि' ( मतखढ ) में थमद्वितियाका
1. Annals of the Bhandarkara Or Res, Instt. XXXVI, p. 254.