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भ० महावीरका निर्वाणोत्सव और दीपमालिका ! (ले० श्री. मो० परशुराम कृष्ण गोडे, एम. ए., क्यूरेटर माण्डारकर मो. रि. इस्टीट्यूट, पूना)
[श्री, प्रो. परशुराम कृष्ण गोडे, एम. ए. ने दोपमालिका त्यौहारके विषयमें उल्लेखनीय गवेषणाकी है और अपने शोध-परिणामोंको यह समय-समय पर अंग्रेजीको पिविध शोध-पत्रिकाओं में प्रकाशित करते रहे हैं। प्रस्तुत लेखमै उनको अपतकको शोधका परिचय और परिणामका सार उपस्थित किया जा रहा है। पाठकगण देखेंगे कि दीपावली विषयक भारतीय साहित्यमें सर्वप्राचीन लिखित साक्षी कल्पसूत्र' की है, जिसे श्वेताम्बर जैनी सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्यके गुरु भद्रबाहु आचार्य द्वारा रखा गया धताते हैं। उसमें म० महावीरके निर्वाणोपलक्षमें लिच्छवि-मालकि आदि राजाओं द्वारा दीपमालिका मनानेका उल्लेख है। श्री जिनसेनाचार्यजीनेमी 'हरिवंशपुराण' (शक स० ४०५) में यही लिखा है और इस निर्वाण दीपोत्सव के कारण भारतमें 'दीपालिका' (दिवाली ) त्यौहार प्रचलित हुआ बताया है। इसी वातको भी गुणभद्राचार्यने 'उत्तरपुराण' (१९पर्व) में दुहराया है। अतः जैनमान्यता के अनुसार दीपमालिका या दिवाली का त्यौहार म. महावीरके निर्वाणोएसबका प्रतीक ठहरता है। साहित्यिक उल्लेखोंमें यही सर्दमाचीन है। यक्षरात्रि, सुखरान्नि, दीपालिका आदि रूपमें सभवतः वीरनिर्वाण-दीपोत्सव उपरान्त कालमें परिपर्तित किया जाकर माना जाने लगा। विद्वानोंको इस विषयमें शोष करके वस्तुस्थिति स्थापित करना अपेक्षित है। --का.प.]
मानवके सामाजिक और राष्ट्रीय जीवनमें त्यौहारोंका प्रभाव अन्ठा है, किन्तु उनके उद्गमना इतिहास फल्पनाके आलोकमै छिपा रहता है । भारतमें अनेक मत-मतान्तर है और अनेक धार्मिक एव अन्य त्यौहारमी है। किन्तु उनका परिचय ऐतिहासिक नहीं, बल्कि वर्णनात्मक मिलता है। श्रीऋग्वेदीने मराठी भाषामें "आर्याच्या सणाचा इतिहास " नामक पुस्तक ३७० पृष्ठोमें लिखी है,
चतुर्थकालेपचतुर्थमासकैविहीनताविश्वतुरन्दशेषके । सकार्तिके स्वातिषु कृष्णभूतलममात सध्यासमये स्वभावतः ॥ १६ ॥
अघातिकर्माणि निरुद्धयोगको विधूय घाती घनवविषधनः। विधनस्थानमवाप शकरो निरतरायोह सुखानुषंधनं ॥ १४ ॥ । ज्वलत्मदीपालिकया प्रवृया सुरासुरै दीपितया प्रदीप्तया ।
तदारम पावा नगरी समततः प्रदीपिताकाशतला प्रकाशते ॥ १८ ॥ । ततस्तु लोक प्रतिवर्षमादरात्प्रसिद्ध दीपालिथ्यात्र भार । समुद्यतः पूजयितुं जिनेश्वर जिनेंद्रनिर्वाण विभूति भक्तिभाक् ।। २१ ॥
हरिवंश पुराण, षट्षष्ठितमः सर्गः । १. 'उससुराण में क्षेवल देवेन्द्र बारा निर्वाणोत्सव मनाने का उल्लेख है।
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