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________________ म महावीर-स्मृति-अंध। . वातावरण महावीरके समयमै या यह कैसे कहा जा सकता है कि महावीर के बजाय तय राम होते दबभी थे तो वही लीला रचते जो पहले रची थी।" वे सज्जन वोले: “आप कुछही कहे पर जो आनन्द 'रामायण' पढनेमें आता है वह महावीर जीवन पढने में नहीं आता. रामायणमें जीवन के प्रत्येक पहलूपर इस ढगसे विवेचन किया गया है कि कुछ माननेको शेष नहीं रहता और महावीरके जीवन में एक अतृप्तिसी बनी रहती है." ____ मैंने कहाः " तो आप ये कहिये कि आप राम और महावीरकी तुलना उनके जीवनसे नहीं उनके कयासाहित्यसे कर रहे हैं। उन्होंने कहा: “जी हा, आप यही समझ लीजिये." मैंने कहा. "कया साहित्यको जब तुलना की जाती है तब नायककी वात गौण होकर कयाकारकी कला परखी जाती है. जिस व्यक्तिका जीवन लिखनेवाला जितनाही कुशल होता है वह उतनाही ख्यातिको प्राप्त होता है. रामका जीवन वाल्मीकिने लिखा औरभी भवभूति आदि संस्कृत कवियोंने लिखा, पर तुलसीदास मानस लिखकर जो रामको आसन दे गये वह किसीसे देते न बना. कहते हैं वाल्मीकिने रामायण रामक्के समयमें लिखी; अतः उसकी प्रामाणिकता अन्य रामायणों से अधिक होनी चाहिये और उसीके आधारपर अन्य सब रामायणे बनी है. पर नहीं, तुलसीने वाल्मीकि रामायणसे कथा भाग लेते हुयेमी सैकड़ों वे मौलिक प्रसंग उपस्थित किये हैं और सैकडों स्थानोंपर वाल्मीकि रामायणके दोषोंको इसतरह टाल गये हैं कि पढतेही बनता है, तुलसीने अपने रामको वाल्मीकि रामसे बहुत अचा उठाया है. वाल्मीकि, भवभूति और तुलसी कृत रामचरित पढनेसे एक प्यास बनी रहती थी और वह यहकि लक्ष्मणको ब्री उमिलाके सम्बन्धमें लोग विशेप जानकारी चाहते थे. वह पूर्ति 'साकेत' लिखकर श्री मैथिलीशरणजी गुप्तने कर दी. आपने अपने साकेतमें उर्मिलाका जो मौलिक चित्रण किया है, भरत, कैकई, माडली आदिका जो वर्णन किया है वह इतना अनूठा और वेजोड है कि लेखकने उनको अमर कर दिया है, __ मेरे कहनेका तात्पर्य यही है कि किस महापुरुषके जीवनमें जितनी घटनायें होती हैं वह सब कवि आखासे नहीं देखता. साधारणसे साधारण वातको प्रस्तर बुद्धिको शानपर वह उसे एक महान् बना देता है, और देशकालको स्थितिके अनुसार अपनी ओरसे मौलिक उल्लेख करता है जो कथानकमें चार चाद लगा देते हैं. जिन व्यक्तियोंको ऐसे कवि मिल जाते है वह प्रसिद्ध हो जाते हैं, याको ख्याति प्राप्त नहीं कर पाते. रामके गुण गानेवाले वाल्मीकि तुटसी जैसे हुये, इसीसे वेससार द्वारा जाने गये. वर्ना उनके जीवनमें कितनीही घटनायें ऐसी हैं जो महावीरमें वो क्या सर्व साधारणमें पाई जाती हैं. राम पिताके आदेशस १४ वर्षको बन गये. वन जाने समय पुनः राज्य प्राप्त मी किया था पर महावीर उसी अवस्या, माता पितासे स्वयं आशा लेकर सदैवके लिये वनमें निकल पड़ते हैं. रामके साथ सोता है. रक्षाके लिये लक्ष्मण है. खाना पानेके लिये स्वतन्त्र है, चाहे जब वनसे फलफूल तोडकर
SR No.010530
Book TitleMahavira Smruti Granth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain, Others
PublisherMahavir Jain Society Agra
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size9 MB
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