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Karnāšaka South and Jaina Tradition
By Prof. D. R. BENDRE, M. A., Sholapur [प्रस्तुत लेखमें प्रो. मने भारतीय पुराण-साहित्यको महत्ता स्थापित करके विज्ञ समाजके समक्ष एक विचारणीय दृष्टिकोण उपस्थित किया है। जैन, शेष, वैष्णव और बौद्ध मनुश्रुतियोंका तुलनात्मक अध्ययन भारतीय इतिहासके लिये उपयोगी सिद्ध होगा। पुराणोंको निरा कल्पित कह कर टाला नहीं जा सकता। जैन पुराणों में इतिहासकी बहु सामिप्री है। जैनोंके आदि तीर्थकर ऋषभदेवको वैष्णवॉनमी अपना पूज्य पुरुष माना है। वैष्णवजन नाभिरायको १४ पो मन मानते
हैं। जैनमी ऋषभदेवके पहले १४ कुलकरोंका होना भोगभूमिम बतलाते हैं। ऋषभदेव वैष्णवों के , मन्तव्य-काल वैवस्वत मनवन्तरसेभी पहले हुये हैं। नाभिरायके समय यह हमारा देश 'मननाम'वर्ष' कहलाता था। शव और वैष्णव पुराणों में कुलपर्वत पर 'भूमिया' जातियोंका आवास
बताया गया है। अतः मानना होगा कि श्वेतवराह करपके पहले विध्यसे लका तर्क विस्तृत एक दक्षिण राज्य था। इस अवस्थामै ऋषम मोर भरतका कौशल, दक्षिण कौशल भासता है। कुछ विद्वान् कौशल-तोशल' नाम माइ दाबित कालका मानते हैं। उत्तरमें जाति नामके साथ 'भल' प्रत्ययका सयोग सस्कृत-साधिके नियमानुसार होता है, जब कि दक्षिणमें वह संयोग द्रविड-कबडस्वरसाधिके अनुसार होता है। यथा:___ उत्तर :- नीप (नेप) + पल = नेपाल ' )
बंग (ग) + अल बगाल है। सवर्ण दीर्घ साध.
पंच भल' पंचाल 'दक्षिणमें :--- कुंत + अलु = कुतल (कुतारा नहीं होता है)
केर (चेर) + अ = फेरल (केराल , ,) सिंह + अल = सिंहल (सिंहाल, ,,)
कोश + अ = झोशल (कोशाल,, ,,) "' अतः इक्ष्वाकु कोशल इस प्रकार दक्षिणात्य देशापास होना चाहिये । 'भागवत् ' में वैवस्वत, नु और इक्ष्वाकुसे पहले विहेश्वर सरबत्रत मनुका उल्लेख है। द्रविडोका आवास दक्षिणमें था। भुजबलिको राजधानी दक्षिण कौशलकी पोटिल यो। दक्षिण में बाहुबलिको तीन विशालकाय मूर्तियाँमी हैं।
'भागवत में कोहगु, वेद और दक्षिण कर्णाटकके मध्यदेशसे ऋषभदेवने निर्वाण पाया, लिखा है। किन्तु जैन मागम अन्धोंमें ऋषभका निर्वाण स्थान फैलाश लिखा है। शैव प्रयांका कैलाशमी यही है । अतः ऋषभनिर्वाण स्थान कैलाशको मानना ठीक है । साथही यह माननामी डोक है कि भागवत के पहलेसे दक्षिण कर्णाटको भईन (जैन ) राजा थे। इसका अर्थ यह होता है कि दक्षिण जैनधर्मका सम्बन्ध मेमि-पार्थनायक मण्यवती कालसे है। जैन ग्रंथोंमें केवल मेमिमाय का पञ्जव देशमें विहार,करनेकाही उल्लेख नहीं है, बल्कि यहभी लिखा है कि पाटबोंने दक्षिण
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