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महावीर षट् कल्याणक पूजा ( ३ ) द्वितीय गर्भापहार कल्याणक पूजा
- दोहा देवानन्दा कुक्षि में, देख विभु को इन्द्र । मन में संशय होत है, राहु देखि जिम चंद्र ॥१॥ नीच गोत्र विपाक से, यह भारचर्य अयोग ।
ममाचार हैं, क्यों न करूं ? प्राप्त पुण्य संयोग ॥२॥ (ल4 जादुगर सैयां छोड़ मेरी पइयां ... फिल्म 'नागिन') इन्द्र श्राज्ञा से, मृगनैपी, श्राकर मत्यलोक गर्भसंहरण किया। देवा कारत्न त्रिशलाकुचि में,त्रिशला का देवांकुक्षि गर्भसंक्रमण किया
आश्विन कृष्ण त्रयोदशी, मध्य रात्रि के माहि। दिवस तिरासी आये विमुवर, त्रिशला कुक्षि भांहि ॥ . यह आश्चर्य महान् । गर्भ० १ ।
यह चउदह सुपने देखे माता, जीताचार हुआ है । .. इसीलिये यह द्वितीय कल्याणक, मंगलकारी कहा है।
. अपहरण है मंगलधाम । गर्भ० २। कतिपय पिज्ञ गर्भहरण को, कहते अमंगलरूप हैं।' वे विज्ञ नहीं पर विशंमन्य हैं, शास्त्रदृष्टि से दूर हैं।
संकीर्ण वृत्ति गंभीर । गर्भ: ३ ।