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भूमिका
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महावीरप्रमुके अवतरणका महत्त्व किस बातमें समाया 'हुआ
है। अथवा किस देशमें उनका जन्म हुआ, प्रसुके अवतर- था ? अपना कल्याण साधनेके लिये किन णका महत्व । २ विघ्नोंके सामने उन्हें होना पड़ा था? हम
उनपर प्रसंगोपात दृष्टि डालते हैं। इस विश्वपर देवी और जगत् उधारक तनुओके प्रादुर्भावमें प्रवत्तित अनेक निमित्तोंका अवलोकन करनेसे मालूम होता है। कि जब समाज अथवा प्रजाका एक सत्ताधारी विभाग अपने स्थूल स्वार्थका रक्षण करनेके लिये असत्य और अधर्मका पक्ष लेकर अपनेसे अन्य शक्तिमान विभागको सत्यसे वंचित रखता है तब आक्रमित और पराजीत सत्यकी भस्ममें से एक ऐमा दिव्य स्फुलींग प्रकट होता है कि जिसकी प्रखर ज्वालामें आखिरकार अधर्म और अनीतिका नाश होनाता है और ऐसा होनेसे ही इस दिव्य स्फुलीगमें-इस दिव्यके विभूतिके प्रादुर्भावमें जितना नीतिका नहीं उतना अनीति और जितना धर्मका नहीं उतना ही अधर्मका हिस्सा होता है। पराभव प्राप्त सत्यको उसके मूल गौरव युक्त स्थानपर प्रतिष्ठित करनेके लिये महापुरुषों का जन्म होता है। देवी और आसुरी सत्वोंके विग्रहमें जब आसुरी तत्त्व अपने उच्चतम स्थूल बलके प्रभावसे देवी