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________________ [ ९ ] 1 प्राप्त की है उन क्षेत्रों के नीच सत्वोंका पराजय करने से ही प्राप्त की है । महत्ता के महावीरताकी बातको दृष्टिमें रखकर हमें जानना चाहिये कि महावीर प्रभुका महत्व किस बात में है उसीको अवलोकन करनेका प्रसङ्ग प्रस्तुत पुस्तकमें लिया गया है । ● अब महावीर प्रभु कौनसे असत्य और कौनसी अनीतिके सामने लड़े थे और जगत में कौनसे आवश्यक आवश्यक और और उपयोगी तत्व दाखिल किये थे उनको उपकारक तत्व हमें देख लेने चाहिये ? २५०० वर्ष पहिले की प्रतिष्ठा । आर्यावर्तकी महान् धर्म भावना में परिवर्तन शुरू हो गया था । उपनिपद और गीताके विशुद्ध तत्व लुप्त प्रायः हो गये थे और उनका स्थान मात्र अथहीन आचार, हेतृशून्य विधि और हृदय उद्वेगकारी क्रियायोंने लिया था परमार्थिक रहस्यकी कुछ भी विस्तृति नहीं हुई थी । देव और देवियोंकी संख्या इतनी शीघ्रता से बढ़ने लगी कि सर्वको संतुष्ट रखने के महान् वोजेसे मनुष्यको अपना आत्म कल्याण करनेका अवकाश ही नहीं मिलता था। ब्राह्मण जिस गौरवको, जिस समाजको और जिस महत्वको अपने गुण कार्यके प्रभावले ही मानते थे उनको परम्परा हक्कके तौरपर मानने लगे। ज्ञातियोंकी मर्यादा बहुत •त हो गई थी और स्थूल कीमत के बदले में ब्राह्मण लोग पारमार्थिक यकी लालच देकर लोगोके बजाय क्रियाकांड में अपने आप ही प्रवर्तित होते थे समाजकी श्रद्धा अधम रास्ते पर घसड़ी जाती थी और उसका अघटित लाभ उस समयके ब्राह्मण लेने लगे । धर्म - भावनाका जीवन लुप्त होकर मात्र संप्रदाय की तंगी और क्रियाकांडकी 1
SR No.010528
Book TitleMahavira Jivan Vistar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTarachand Dosi
PublisherHindi Vijay Granthmala Sirohi
Publication Year1918
Total Pages117
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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