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________________ अथ फेजल्लावादी रपरियोनकी वंशावली तथा आदि उत्पत्ति लिखते हैं आदि वंशावली गोत्रं विजयी कृष्ण अलल परिया प्रथम स्थान द्वारावती देशान्तर लम्बकञ्चन देश ( लाँवा ) वंश आदि इक्ष्वाकु प्रवर्तक यदुवंशी श्री नेमिनाथ स्वामीक बादेते उत्पत्ति भई। कृष्णवंशी राजा लोमकर्ण जिन्होंने लम्ब काञ्चन देश बसाया, तिनहींके नामसे लम्बेचू वंश कहाया। तिनके पुत्र ये द्वादश भये । तिनहींके नामसे ऊपर लिखे बारह गोत्र मये। फेरि तिनहींसे बारह सत्ता भये । यहाँपर स्पष्ट रूपसे गौतम भारद्वाजादि पुत्र लिखे हैं। उन बारह सत्ताओंके नाम___ सोनी १, बजाज २, रपरिया ३, चन्दोरिया ४, राउत ५, वकेपरिया ६, भुजवार ७, सुहाने ८, चोसठिथारी ६, बरोलिहा १०, पचोलये ११, कुअरभरये १२ । ये इन्हींमें से एक २ मेंसे सात ७ अललके हिसाबसे ८४ अलल भई, जिनको (वोरा) पीछे लिख चुके हैं। प्रथम
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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