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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास *
जु हरिकृष्ण घनश्याम सुखधाम धरने । जे दे दान पर दुःख दारिद्र हरने । अलोले जु मनिके सजे पुत्र दानी । सुजिनकी प्रभा चारिहू चक्र जानी ।। जु नन्दलाल सुखलाल साजे सुवाने । सुजिनके वचन राउ राजा प्रमाने ॥ बिनोदी जु रायो लला शोभ साजै । अखैराज लाला महारूप राजै । सजे वेद मनि नन्दजी जक्त मनिज । सभाचन्द शोभा प्रभा धन्य धनिजू ॥२४॥ आये चौधरी ले भीर भारी। सजै पालकी कोतलनि कोर न्यारी ॥ किते वीर बाँके बली साथ लीने । महामत्त मातङ्ग सोहै नवीने ॥ लसे भोर भारै महाडील कारै । झके झूमि झहरे धारै जोम भारै ।। सजे मस्त हस्ती सजे भूप रनको । त्यों सेनि चोधरी साजि ल्याये मिलनको ।।
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