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________________ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * ३२६ फतुहाने, फीरोजशाही तुजुके, शेरशाही तारीखें, फिरिस्ता अकबरनामे (दोनों अबुलफ़ज़ल फैजीकृत ) आइनेअकबरी अकबरनामे, इकबालनामा, जहाँगीरी, मआसिरुल उमरा, जहाँगीरबादशाहनामा आदि मुसलमान कवियोंकी कविताका जिकर दिया है । और राजप्रशस्ति महाकाव्य, अमरकान्य, जगत्प्रकाश, जयवंश महाकाव्यादिका जिकर किया है। जेसलमेरके यादव ( भाटिया ), ओंकट ( कछवाये ) आदि का जिकर है। ईडरगढ़ ( इन्द्रगढ़ ), इंगरपुर इन सबमें चोहानोंके राज्यका जिकर है और जब हम ईडरगढ़ नौकरी पर संवत् वि० १६६० में गये थे, तो एमदाबादसे एमदनगर से टपालगाड़ी तांगासे आठ आना सवारीसे ईडर पहुँचे थे। वहाँ गुजराती भाषा बोली जाती है, (संछे चमशे ) इत्यादि, वहाँ हम चार मास रहे। पाठशालामें संस्कृत पढ़ाई, वहाँ हुँमड़ जातीय जैनोंके घर थे। हुमड़ भी अपनेको चोहानों में से ही बतलाते हैं। दिगम्बर जैन सम्प्रदायके ४ मन्दिर हैं और ईडरके दो जैन मन्दिर संभवनाथके मन्दिरमें, सरस्वती भण्डारमें हस्तलिखित १४०० ग्रन्थ थे और सोने चाँदीकी छोटी २ प्रतिमायें
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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