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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास *
( सवैया ३१ सा )
चंदवरियाकुलके कलश जदुवंशी विजयराम भये
तिनहीके अमरसिंह पूर्णचन्द धर्मक समाज ही । टेकचन्दजूके नन्द उदित बुलाखीदास
।
दिपत महासुख विलासी परसादी सिरताजही । चूरामणिजू के सुत रूपचन्द
छेदीलाल कहत गणेश सदा करैशुभ कोज ही । भिखारीदासजीके पुत्र नाती पंती चिरुजीवो करो
तखत अटेर चंदवरिया दानीराज ही || १३ |
शीलवत पालै रोरमंगनको भारै
मथुरामल
बड़ी बड़ी करनी करतूतें साखि साखिभई सुकृत कहैं लऊराइ चित्तमहासुखपाइ सोई
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दुख दारिद निवारै परपीरनको हरिया । वंश अंश घांसीरामजकै
दे दे दान दीननके दारिदको दरिया |
सो सींचि कीर्तिकरन कैसी करिया ।
दिलको दिलेल मुरलीधर चंदवरिया || १४ ||