SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 243
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * अवर हवसी खुरसानह, हुंमड़ घुमड़ पवरि अवर मारिय मुलतानह पटखंड जुये तहां नर नहीं अवरन कोई तुअ सरि पर्व राजा भरहपाल समान कीअसु किया गाऊ रावत खंत काल ऊपरतवै॥ (सवैया ३१ सा ) जैनके जहाज आज रावत शिरोमणि है याकी पटतर कह दजो कौन आनिये । गंगाराम रावत वदनसिंघ थाप्यो थिरताकी बात साची लिखी सोनेक पानिये । राउत आमोर घनश्याम हरिकेशवदास, जाकी बात सांची हंतिकाति देश मानिये । संगसुरताने जिन्हें सोहबृन्द वाने चारों परसादीके सुचहुचक जानिये ॥३॥ छप्पय जैन जज्ञ पर करै गाऊरावतभारै मंडल मुलुक महीप भये जगमें उजियारे। ताही कुलमें प्रगट भई करतूति करनको। परसादी के वंशभई लच्छि सुकृत धरनको । टेकचन्दनन्द ( कवि ) ईसुरदास तुम करत रीझ दारिद दपट, राजाधिराज थिरपाल जू सो जगत जोति रावत सुभट ॥४॥
SR No.010527
Book TitleLavechu Digambar Jain Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorZammanlal Jain
PublisherSohanlal Jain Calcutta
Publication Year1952
Total Pages483
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy